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सीएम नीतीश कुमार ने मंदार पर्वत पर रोपवे का किया उद्घाटन, जानें समुद्र मंथन और सीता वनवास से जुड़ी मान्यता

बांका के बौंसी स्थित मंदार पर्वत पर सूबे के दूसरे रोपवे का उद्घाटन सीएम नीतीश कुमार ने आज किया है. अब 5 मिनट के अंदर लोग मंदार के शिखर पर पहुुंच सकेंगे. बिहार में पर्यटन के क्षेत्र में इसे बड़ा सौगात माना जा रहा है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बौंसी स्थित मंदार पर्वत पर रोप-वे का उद्घाटन कर दिया है. 377.36 मीटर लंबे इस रोपवे से अब मंदार की वादियों का आनंद सैलानी लेंगे. रोपवे से पर्यटन को भी अब फायदा होगा. चार सीटर रोपवे में कुल आठ केबिन तैयार किया गया है.पर्यटन विभाग के द्वारा बने नवनिर्मित रोपवे को उद्घाटन के बाद सैलानियों के लिए खोल दिया जाएगा.

80 रुपये का टिकट लेकर मंदार की वादियों का लेंगे मजा

80 रुपये का टिकट लेकर अब मंदार पर्वत के शिखर पर पहुंचा जा सकेगा. लोग मंदार की ऐतिहासिक पौराणिक और धार्मिक स्थलों का दर्शन कर पायेंगे. इतिहास में समुंद्र मंथन की मथानी के रूप में जिस मंदराचल की चर्चा की गयी है वह वास्तव में भागीरथी गंगा के दक्षिण में अवस्थित अंग की धरती पर मौजूद यही मंदार पर्वत है, जिसका आज दीदार और दर्शन पूजन करने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे.

करीब 10 करोड़ रुपये की लागत

करीब 10 करोड़ की लागत से बने आकाशीय रज्जू मार्ग को देश-विदेश से आने वाले सैलानियों के लिए खोल दिया गया है. रोपवे के जरिए सैलानी मंदार पर्वत पर जायेंगे जहां ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विभिन्न मंदिरों और कुंडों का दर्शन करेंगे.


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समुद्र मंथन के कारण पवित्र है पर्वत

बौंसी से करीब 5 किलोमीटर उत्तर में मंदार पर्वत स्थित है. इस पहाड़ी की ऊंचाई 700 फीट है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह पर्वत बहुत पवित्र है. स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार इसका संबंध अमृत मंथन (समुंद्र मंथन) से है, जिसके कारण इसका धार्मिक महत्व है और यह श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है.

पापहरणी

मंदार पर्वत की तलहटी में एक तालाब है, जो पापहरणी के नाम से विख्यात है. बताया जाता है कि इस तालाब में स्नान मात्र से जन्म जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं. यही वजह है कि विभिन्न महत्वपूर्ण तिथियों पर यहां स्नान के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. पापहरणी के बीचोबीच महाविष्णु और महालक्ष्मी का एक मनोरम मंदिर है.

सीता कुंड

पर्वत के मध्य में सीता कुंड स्थित है. जहां सालों भर जल मौजूद रहता है. किंवदंती है कि वनवास के क्रम में मां सीता ने यहां पर रुक कर पूजा अर्चना की थी. ऐसी मान्यता है कि यहां माता सीता ने स्नान भी किया था.

काशी विश्वनाथ मंदिर

पर्वत तराई पर काशी विश्वनाथ मंदिर है, जानकारों के अनुसार मंदार पर्वत पर निवास पूर्ण कर जब भगवान शिव वापस काशी लौटने लगे, तब भगवान मधुसूदन के प्रेमवश उन्होंने अपने हाथों से पर्वत शिखर पर शिवलिंग को स्थापित किया था जो आज भी विद्यमान है.

जैन मंदिर

पर्वत की चोटी पर दो जैन मंदिर स्थित है. यहां भारी मात्रा में जैन तीर्थयात्री भगवान वासुपूज्य की पूजा के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह भगवान वासुपूज्य की निर्वाण भूमि है. इसके अलावा पर्वत मध्य में शंख कुंड, गुफा में नरसिंह भगवान की प्रतिमा, आकाश गंगा, कामाख्या योनि कुंड, मधु का मस्तक, पर्वत शिखर पर विभिन्न मंदिर सहित अन्य कुंड और मूर्तियों के भग्नावशेष देख सकते हैं.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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