Mother’s day: मदर्स डे पर आज एक ऐसी वृद्ध महिला की जीवंत कहानी की चर्चा होगी, जो अब 90 वर्ष उम्र के पायदान पर पहुंच गयी हैं, लेकिन उम्र के इस दौर में इस वृद्धा का संघर्ष अद्भूत रहा है. अलबत्ता, गांव व आसपास के क्षेत्र में सभी माताओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी हैं. दरअसल, अमरपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत चोरवैय गांव की मनोरमा देवी ने पति की मौत के बाद ना केवल परिवार की जिम्मेदारी उठायी, बल्कि माता-पिता दोनों का फर्ज निभाते हुए सभी पुत्र और पुत्रियों को लायक बनाया.
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शिक्षा की डोर में बांधकर एक बेटे को एसपी, एक को चीफ इंजीनियर, एक को सिविल सर्जन तो एक को गृहस्थी निभाने की गुर सिखाये. मनोरमा देवी की कई खासियतों में से एक है कि वे बचपन से ही शाकाहारी रही. बीमार होने के उपरांत कभी भी अंग्रेजी दवा का सेवन नहीं किया. अपना इलाज हमेशा आयुर्वेद पद्धति से अबतक करती आ रही हैं.
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मनोरमा देवी के पति उदय नारायण वैद्य मध्य विद्यालय शाहपुर के प्रधानाध्यापक थे. यद्यपि, उन्हीं के प्रयास से विद्यालय की स्थापना हुई थी. साथ ही समाज में शिक्षा के प्रति बच्चों और अभिभावकों को भी जागरूक किया. लेकिन, 1977 में उनका देहांत हो गया. मनोरमा देवी ने अपने पति से ही शिक्षा की प्रेरणा ली. साधारण जीवन और अकेले घर की जिम्मेदारी होने के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ते हुए उच्च शिक्षा-दीक्षा दिलाने में कामयाब रही.
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स्वयं मनोरमा देवी मुश्किल से पांचवीं पास होगी. लेकिन, अपने बच्चों में उन्होंने पति का सपना देखा था. मनोरमा देवी को चार पुत्र व दो पुत्री हैं. बड़े पुत्र रंजन वैद्य उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के चीफ इंजीनियर बने और हाल में ही में अपनी सेवानिवृति ली है. दूसरे पुत्र कमल वैद्य को परिपक्व होने पर घर और खेत-खलिहान की जिम्मेदारी निभाने के गुर सिखाये.
तीसरे पुत्र विजय वैद्य चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है. वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश सिद्धार्थ नगर में सिविल सर्जन के पद पर कार्यरत हैं. चौथा पुत्र विकास वैद्य पुलिस सेवा में उच्च पद हासिल किया. मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के हथरस के एसपी हैं. जबकि, पुत्रियों में उषा देवी भी मैट्रिक उतीर्ण हुई और इंजीनियर से शादी की. दूसरी पुत्री पुष्पा ने बीए की शिक्षा प्राप्त की और इनकी शादी मुंबई में मर्चेंट नेवी के इंजीनियर से हुई.