Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली की हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है. यहां की हवा को खुद ऑक्सीजन की जरूरत है. पिछले 36 घंटे में हवा में प्रदूषण और बढ़ा है. दुनिया के टॉप 100 प्रदूषित शहरों में बरेली मंगलवार को 74 वें स्थान पर था. मगर, गुरुवार को 54 वें स्थान पर आ गया है. यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मंगलवार सुबह 116 था, जो गुरुवार सुबह 133 पर आ गया है. वायु गुणवत्ता सूचकांक 133 बेहद खराब स्थिति में है. शहर के सिविल लाइंस की हवा सबसे अधिक खराब है. यहां का AQI 153, सुभाष नगर का 149 और राजेंद्र नगर का 97 है. राजेंद्र नगर का AQI भी 81 से बढ़कर 97 हो गया है. हालांकि, दुनिया के टॉप 100 शहरों में पहले स्थान पर मेक्सिको की डूरंगो सिटी है. यहां का AQI 422 है. मगर, चौथे स्थान पर इंडिया के हरियाणा प्रदेश का रोहतक का AQI 267, पांचवें पर गुजरात का मेहसाणा का AQI 253, छठे पर सोनीपत का AQI 253, सातवें पर कल्याण का AQI 242 और नौवें स्थान पर यूपी के हापुड़ का AQI 231, 12वें स्थान नोएडा का AQI 234, 13वें स्थान पर भिवाड़ी का AQI 213, 16वें स्थान पर मेरठ का AQI 199, 17वें स्थान पर गुजरात का गांधीनगर का AQI 192, 21वें स्थान पर गुरुग्राम का AQI 175 है. वहीं हरियाणा के गुड़गांव का AQI 173 होने के कारण ये शहर 22वें स्थान पर है. 23वें स्थान पर एमपी के ग्वालियर का AQI 173, वहीं यूपी का गाजियाबाद का AQI 164 होने के कारण शहर 27वें स्थान पर है. देश की राजधानी दिल्ली का AQI 164 है, जिसके चलते शहर 28वें स्थान पर है. यूपी के संभल का AQI 150 है. यह 35वें स्थान पर, 37वें स्थान पर यूपी के मुरादाबाद का AQI 148, 43वें स्थान पर सहारनपुर का AQI 141, 46वें स्थान पर फिरोजाबाद का AQI 138, 53 वें स्थान पर पुणे का AQI 134, 54वें स्थान पर बरेली का AQI 133, 55वें स्थान पर भिवंडी, 56वें स्थान पर बदायूं का, 57वें स्थान पर पीलीभीत और 58वें स्थान पर शाहजहांपुर का AQI है. इन सभी शहरों का AQI 133 है. यूपी के इटावा का AQI 131 है. ये 61वें स्थान पर है. 66वें स्थान पर रामपुर का AQI 130, 68वें स्थान पर आगरा का AQI 127, 80वें स्थान पर झांसी का AQI 120, 83वें स्थान पर बुलंदशहर का AQI 119 है. 100 वें स्थान पर ईरान का अहराम शहर है. दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में सबसे अधिक यूपी के हैं, जो काफी चिंतनीय है. यूपी के सभी जिलों की हवा में ऑक्सीजन की कमी है.
बरेली का एक्यूआई काफी चिंतनीय है. बुधवार आधी रात को बरेली का AQI 134 तक था, जो काफी खराब है. बरेली में निर्माणधीन कुतुबखाना ओवरब्रिज और टूटी सड़कों की धूल और धुएं से AQI बढ़ा है. शहर के कुतुबखाना में काफी समय से ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है.
1772 में स्वीडन के वैज्ञानिक कार्ल विल्हेम शील एक एक्सपेरिमेंट कर रहे थे. उन्होंने मैग्नीज ऑक्साइड, पोटेशियम नाइट्रेट और कई एलिमेंट को मिलाकर गर्म किया. इन्हें गर्म करने पर एक गैस निकली. शील ने देखा कि इस गैस में चीजें ज्यादा तेजी से जलती हैं. इसके साथ ही जीव-जन्तु भी इस गैस में ज्यादा देर तक जिंदा रह पाते हैं. शील ने ऑक्सीजन की खोज कर ली थी, लेकिन उन्होंने इसे ‘फायर एयर’ नाम दिया.
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हर इंसान को ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है.सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए.इसके नीचे ऑक्सीजन जाने से नुकसान होता है.
एक्यूआई बढ़ने से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है. ऐसे में घरों से निकलने में एहतियात बरतने की जरूरत है.लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है.डॉक्टर एन-95 मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं.क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.
0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है. इससे सेहत पर कम असर होता है. 51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है. 101 के बाद ठीक नहीं है. 101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है. 201-300 AQI काफी खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है. 301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा होता है.401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है.इंसान की सेहत पर सबसे अधिक खराब होती है.
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वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है. दरअसल, प्रदूषित कणों से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है. जिसके चलते नली पतली होती चली जाती है,और इसका असर फेफड़े और इसके आस-पास की मांसपेशियों पर पड़ता है.वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती है. इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती है. वायु प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी भी घर कर सकती है. इसका सीधा संबंध किडनी से होता. इसके अलावा प्रदूषित वायु में पाए जाने वाले कार्बन से किडनी डैमेज का भी खतरा बन जाता है. स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सबसे जरूरी ऑर्गन हार्ट होता हैऔर वायु प्रदूषण फेफड़ों और किडनी के अलावा दिल पर भी वार करता है.
प्रदूषित हवा का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है.डॉक्टरों के मुताबिक उम्रदराज लोगों और बुजुर्गों के मस्तिष्क पर प्रदूषित के कण हमला करते है. इससे उन्हें बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और आसान गणित के सवालों को सुलझाने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है. जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है. इससे प्री-मेच्योर डिलीवरी का खतरा बन जाता है. इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है, जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. इंसान की त्वचा में रूखापन, जलन, रेडनेस और एक्जिमा जैसी तकलीफें आपको हो रही हैं, तो समझ जाए कि वायु प्रदूषण आपकी त्वचा पर वार कर रहा है. प्रदूषित हवा में मौजूद कणों की वजह से त्वचा काफी प्रभावित हो सकती है. वायु प्रदूषण, सेकेंड हैंड स्मोक, रेडान, अल्ट्रावायलेट रेडिएशन, एस्बेस्टस के अलावा, कुछ केमिकल समेत अन्य प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आने से कैंसर का भी खतरा हो सकता है. यह कैंसर जानलेवा साबित हो सकता है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली