Ganga Expressway: उत्तर प्रदेश में वर्ष 2007 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली मायावती ने 1047 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई थी. यह दिल्ली के नजदीक ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर गंगा के किनारे होते हुए बिहार के पास बलिया तक जाना था, लेकिन एक एनजीओ ने उस वक्त गंगा प्रोजेक्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी दी थी. जिसके चलते हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में रोक लगा दी थी. मगर, भाजपा ने सबक लेते हुए नया प्रोजेक्ट तैयार किया. शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने इसकी संग-ए-बुनियाद रखी.
मायावती के गंगा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चैलेंज किया गया था कि यह पर्यावरण संरक्षण कानून के प्रावधानों के खिलाफ है जिसके चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण कानून के प्रावधानों के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया. मगर, योगी सरकार ने जनवरी 2019 में बसपा प्रमुख मायावती की गलती से सबक लेते हुए गंगा के किनारे के बजाय 10 किमी दूर से गंगा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को नए सिरे से बनाया. इसको पर्यावरण विभाग ने हरी झंडी दे दी. जुलाई में पर्यावरण विभाग से एनओसी मिलते ही काम शुरू कर दिया गया.
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बता दें, गंगा एक्सप्रेसवे योगी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. यह एक्सप्रेसवे 594 किमी लंबा होगा. यह मेरठ से प्रयागराज जाएगा. मेरठ के बिजौली से शुरू होने वाला गंगा एक्सप्रेसवे हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ से होते हुए प्रयागराज जिले के जुदापुर में समाप्त होगा. यह छह लेन का होगा. इस पर फाइटर जेट्स भी लैंड कर सकेंगे. इसको देखते हुए जलालाबाद में 960 मीटर की एयर स्ट्रिप का निर्माण कराया जाएगा.
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रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली