International Youth Day 2022 : उत्तर प्रदेश के बरेली का झुमका 1966 में आएं एक फिल्मी गाने के जरिए लोकप्रिय हुआ था. 1966 में फिल्म ‘मेरा साया’ रिलीज हुई.इसकी अभिनेत्री साधाना पर ”झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में” फिल्माया गया था. इस फिल्म में बरेली का कोई वाक्या नहीं था, लेकिन गीत के लेखक शायर राजा मेहंदी ने इस गीत के जरिए बरेली के झुमके को दुनियाभर के लोगों की जुबान पर चढ़ा दिया. मगर, इस झुमके के बाद बरेली को असल पहचान पतंग के मांझे और सुर्मा से मिली. इसके बाद बरेली का नाम युवाओं ने रोशन किया है. यहां की प्रियंका चोपड़ा ने बॉलीवुड से हॉलीवुड तक अपने-अपने अभिनय से रंग जमाया. इसके बाद फिल्म अभिनेत्री दिशा पाटनी भी बॉलीवुड में जलबा दिखा रही हैं.
राष्ट्र के निर्माण और विकास में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. दुनिया 12 अगस्त को राष्ट्रीय युवा दिवस मना रही है, लेकिन बरेली के युवाओं ने कड़ी मेहनत से बरेली को अलग पहचान दिलाई है. बरेली की बेटी निदा ने भारत का नाम यूएई में रोशन किया था. उन्हें दुबई में यंग अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया.निदा ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री ली है.भारत से माइक्रोवेव इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की.वह वर्तमान में यूएई के विश्वविद्यालय में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रही हैं.इसी दौरान उन्हें दुबई में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और शैक्षणिक उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह में यंग अचीवर अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा-2021 के परिणाम में बरेली के ऐश्वर्या ने सिविल सेवा परीक्षा-2021 में चौथी रैंक हासिल कर अपने साथ पूरे जिले का नाम रोशन किया.इसके साथ ही शहर के अशरफ खां छावनी निवासी तनुज कुमार ने आईएएस.एल परीक्षा अच्छे रैंक के साथ पास की है.तनुज कुमार यूपी के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री डा.अरुण कुमार के भतीजे हैं.इससे पहले यूपीएससी की आईईएस 2020 परीक्षा में फर्स्ट रैंक हासिल कर ईशा स्वरूप ने बरेली का नाम पूरे देश में रोशन किया था.इस वर्ष सीबीएसई हाईस्कूल की परीक्षा में एसआर इंटरनेशनल की गार्गी पटेल ने सौ प्रतिशत अंक प्राप्त कर इतिहास रचा है.
शहर के इंद्रानगर निवासी प्रखर सक्सेना ने जिले का नाम रोशन किया है.उनका भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक के पद पर चयन हुआ था.उनके पिता संजय सक्सेना सरकारी सिविल ठेकेदार और मां छवि सक्सेना भोजीपुरा के जूनियर हाईस्कूल में अध्यापिका हैं.इससे पूर्व बरेली के अक्षत कक्कड़ का चयन 2005 में भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक के पद पर हुआ था.
बरेली के युवाओं ने शिक्षा के साथ ही खेल में भी प्रतिभाएं दिखाई हैं.शाही के इमरान खां ने कई मेडल जीतकर शहर का नाम रोशन किया था.इसके साथ ही कुछ महीने पहले जगतपुर पुराना शहर निवासी नवाजिश अजहरी ने दिल्ली में आयोजित बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व यूपी के प्रतिभागियों को पछाड़ कर क्लासिक बॉडी बिल्डिंग में पहला, जबकि सीनियर बॉडी बिल्डिंग में दूसरा स्थान पाया था. इससे पहले वह दिल्ली में ही आयोजित मिस्टर इंडिया कम्पटीशन में सिल्वर मेडल पा चुके हैं.
युवाओं का यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस सबसे पहली बार 12 अगस्त 2000 में मनाया गया था.इस दिन को मनाने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सभा ने 17 दिसंबर 1999 को लिया. उस दिन तय किया गया कि 12 अगस्त को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाएगा.हालांकि, इस दिन को मनाने का सुझाव 1998 में विश्व सम्मेलन में दिया गया. युवाओं के लिए जिम्मेदार मंत्रियों ने विश्व सम्मेलन में युवाओं के लिए एक दिन समर्पित करने का सुझाव दिया था, इसके बाद अगले साल 1999 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस सुझाव को अपनाते हुए 12 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा की.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद