Bareilly News: तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव एवं दरगाह आला हजरत से जुड़े मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद पर बड़ा बयान दिया है.उन्होंने कहा ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे को फिरकपरस्त ताकतें गर्म करने की कोशिश में लगी हैं.
मौलाना ने कहा कि हमने बाबरी मस्जिद को अपनी आंखों के सामने शहीद होते देखा है, लेकिन मुल्क में अमन बनाए रखने के लिए खामोशी अख्तियार करनी पड़ी. सीने पर पत्थर रखकर अदालत के फैसले को कुबूल किया है.मगर, अब ज्ञानवापी मस्जिद हो, या मथुरा की ईदगाह. किसी भी मस्जिद को बाबरी बनाने की कोशिश हिंदुस्तान का मुसलमान बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा.उन्होंने बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद की सुरक्षा पर चिंता जताई. इसके साथ ही ऐसी किसी भी घटना के खिलाफ आंदोलन का मुनासिब रास्ता चुनने की बात कही.
मौलाना ने कहां पूरी दुनिया जानती है कि ताजमहल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की यादगार के तौर पर तामीर (निर्माण) कराया था. जिसके चलते काफी वक्त से ताजमहल की देखरेख सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ करता आ रहा है.मगर, इसके बाद भी ताजमहल का मुद्दा उठाया गया है. यह काफी गलत है. हाईकोर्ट के जजों द्वारा दिए गए फैसले की सराहना की. उन्होंने कहा कि नकारात्मक सोच के साथ ऐसे मुद्दे लोग उठा रहे हैं. ऐसे लोगों को हुकूमत को रोकना चाहिए. इसके साथ ही कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए.जिससे आगे कोई इस तरह के मुद्दे ना उठा सके.मौलाना ने जल्द ही आगे की रणनीति बनाने के लिए बैठक करने की बात कही.
इससे पहले मौलाना शहाबुद्दीन यूपी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां की रिहाई को लेकर भी बड़ा बयान दे चुके हैं.उनका कहना था कि आजम खां को सपा नेता ने ही जेल में डलवाया है.अगर उन्हें आजम खां से मुहब्बत है, तो पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को उनकी रिहाई के लिए प्रधानमंत्री मोदी से बात करनी चाहिए थी. मगर, कोई बात नहीं की, बल्कि आजम खान पर लगातार कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है.सपा को आजम खां से कोई हमदर्दी नहीं है.
रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद