Rampur By Election 2022: उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है. वहीं उपचुनाव में सपा नेता मुहम्मद आजम खान को सपा प्रत्याशी आसिम राजा की जीत का पूरा भरोसा है. उन्होंने चुनाव प्रचार खत्म होने से 3 घंटे पहले लोकसभा क्षेत्र की सैफनी में आयोजित जनसभा में रामपुर की जनता से जीत का भरोसा जताया था. लेकिन बोले,अलर्ट रहना है और मतगणना केंद्रों के बाहर पूरी मुस्तैदी के साथ ईवीएम की सुरक्षा करनी है.
आजम खां ने आरोप लगाया कि पिछले चुनाव में बिलासपुर और शाहबाद (मिलक) के मतगड़ना केंद्रों पर गड़बड़ी सकी गयी और यहां ईवीएम बदली गई. दोनों सीट बीजेपी जीत गई. हमें तो, उसी समय अहसास हो गया था, लेकिन क्या करते हम जेल में थे. अब आप हमारी बात को मान लेना.सख्ती से ईवीएम रखानी हैं. जिससे कोई ईवीएम न बदल सके.बोले, हम डेढ़ से दो लाख से जीतेंगे. हालांकि, भाजपा को मुस्लिम मतदाताओं में सेंध की उम्मीद है. अगर, भाजपा सेंध लगाने में कामयाब होती है, तो फिर मुकाबला कड़ा हो सकता है. मगर, भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबरे इस्लाम की शान में विवादित बयान के बाद मुस्लिम मतदाता एकतरफा मतदान करेंगे. रामपुर का नवाब खानदान भाजपा के साथ है. मगर, रामपुर की आवाम उनकी भी नहीं सुन रही है.
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रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले भाजपा और सपा प्रत्याशी मोहम्मद आजम खान के करीबी हैं. भाजपा से चुनाव लड़ रहे घनश्याम सिंह लोधी किसी समय में आजम खान के राइट हैंड हुआ करते थे. उन्हें 2004 और 2016 में आजम खान ने एमएलसी बनवाया था, तो वही उनके सामने सपा से चुनाव लड़ने वाले आसिम राजा उनके हमसाया की तरह साथ रहते हैं. हालांकि, घनश्याम सिंह लोधी ने अपनी सियासी पारी बीजेपी के साथ शुरू की थी, लेकिन बसपा और कल्याण सिंह पार्टी में होते हुए 2011 में सपा का दामन थामकर आजम खां के साथ पूरी तरह से आ गए थे. मगर, आजम अपने करीबी आसिम राजा को जिताने और अपनी परंपरागत सीट को काबिज रखने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.उन्होंने रोजाना सभाएं की.
भाजपा भी इस सीट को हर कीमत पर जीतना चाहती है.इसलिए यूपी सरकार और केंद्र सरकार के दर्जन भर से अधिक मंत्रियों ने कानपुर में डेरा डाल लिया था. इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रचार के अंतिम दिन मीटिंग की थी. उन्होंने रामपुर की आवाम से विकास के नाम पर वोट मांगे थे.
मुहम्मद आजम खां से रामपुर की आवाम बहुत मुहब्बत करती है.आजम खान ने 1976 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से छात्र राजनीति शुरू की थी. इसके बाद 1980 में पहला विधानसभा चुनाव जनता पार्टी सेकुलर से रामपुर शहर सीट लड़कर विधायक बने थे. 1985 में लोक दल के टिकट पर, 1989 में जनता दल के टिकट पर, 1991 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1992 में सपा का दामन थाम लिया. 1993 में चुनाव जीते, लेकिन 1996 के विधानसभा चुनाव में अफरोज खान ने उन्हें हरा दिया. जिसके चलते राज्यसभा भेजा गया.इसी दौरान उनकी मुस्लिम नेता के रूप में पहचान बन गई. वह 10वी बार विधायक हैं, तो वहीं पांच बार मंत्री रह चुके हैं.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद खां