Bareilly News: महंगाई को लेकर हर कोई परेशान है. विपक्ष महंगाई पर हल्ला भी मचाता है. भारत में सरकार भी भुखमरी खत्म कर हर किसी को दो जून ( वक्त) का खाना मुहय्या (उपलब्ध) कराने का वायदा करती है. देश में तमाम योजनाएं भी चलती हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. महंगाई बेकाबू होता जा रही है. इस महंगाई की आग में रोटी भी तप गई है. आटे की कीमत लगातार बढ़ रही है. कुछ महीने पहले आटे की कीमत 24 से 28 रुपये किलो तक थी. मगर, अब ब्रांडेड आटा 42 तक हो गया है, जबकि साधारण आटे की कीमत 36 रुपये किलो तक है.
चावल की कीमत 28 से 45 रुपये तक पहुंच गई है. दुकानदार आमान अंसारी का कहना है एक महीने से लगातार दाम बढ़ रहे हैं. सेंधा नमक 25 से 30 रुपये हो गई है, जबकि ब्रांडेड नमक की कीमत 80 रुपये किलो तक है. साबुत मिर्च 180 रुपये किलो थी, जो 280 से 300 रुपये किलो तक आ गई है. 220 रुपये किलो बिकने वाला जीरा अब 300 रुपए किलो है.
बासमती चावल की कीमत 110 से 120 रुपये तक हो गई है. मैदा 28 रुपये से 36 रुपये किलो हो गई है. इसके साथ ही सूजी 35 से 40 रुपये किलो तक पहुंच गया है. रसोई सिलेंडर पहले ही महंगा हो चुका है. महंगाई की आग में हर कोई झुलस रहा है. मगर, देश के जनप्रतिनिधियों को इसकी परवाह नहीं है.
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देश में लंबे समय से सरकारें गरीबी खत्म का दावा कर रही हैं. भारत में रोटी पर “रोटी”, रोटी कपड़ा, और मकान पर मूवी भी बन गई हैं, जो काफी देखी गई. मगर, इसके बाद भी दो जून (वक्त) की रोटी तमाम लोगों को नहीं मिल पा रही है. सरकार कई योजनाएं लेकर आती रही हैं. करोड़ों-अरबों रुपये इन योजनाओं के जरिए गरीबी मिटाने पर खर्च होता रहा है, लेकिन इसके बाद भी देश के करोड़ों लोग हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं होती.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, देश में 20 करोड़ लोग ऐसे हैं. जिन्हें सही तरीके से भोजन नहीं मिल पा रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि करोड़ों लोगों को आज भी भूखे पेट सोना पड़ता है. इनको दो जून की रोटी नसीब हो पाती. इसके लिए केंद्र सरकार ने कोरोना काल से मुफ्त राशन मुहैया करवाने को योजना चलाई. इसका करीब 80 करोड़ जनता को सीधा फायदा मिल रहा है.
भारत वैश्विक भुखमरी सूचकांक के 116 देशों की सूची में 91वें स्थान से फिसलकर 101वें पायदान पर पहुंच गया है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 69 करोड़ से अधिक लोग हर दिन भूखे पेट सोते हैं. भारत में खाने के अभाव में हर दिन भूखे पेट सोने वाले लोगों की संख्या 20 करोड़ से अधिक हो गई है. ये स्थिति तब है, जब देश में हर साल पैदा होने वाला 40 फीसदी खाद्य पदार्थ रखरखाव या आपूर्ति की अव्यवस्था के कारण खराब हो जाता है.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद बरेली