Bareilly: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं. इसे लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है. सत्तारूढ़ दल भाजपा एक-एक निकाय में जीत का परचम फहराने के लिए कोशिश में जुटी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया है तो सपा के लिए ये निकाय चुनाव अग्नि परीक्षा से कम नहीं हैं. लोकसभा, विधानसभा और एमएलसी चुनाव में हार के बाद पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने बड़ी चुनौती है.
हालांकि इसके बावजूद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नगर निकाय चुनाव को लेकर अब तक चुनाव प्रचार को घर से नहीं निकलें हैं. ऐसे में अगर, निकाय चुनाव में पार्टी के पक्ष में नतीजे नहीं आते हैं, तो फिर लोकसभा में एक बड़ा वोट कांग्रेस, या बसपा की तरफ भी रुख कर सकता है. इसका खामियाजा सपा को उठाना पड़ सकता है. लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद में सपा के सदस्यों की संख्या लगातार घट रही है. पिछले निकाय चुनाव में पार्टी का एक भी मेयर नहीं जीता था.
मुलायम सिंह यादव ने जनता दल से अलग होकर 1992 में सपा की स्थापना की थी. उनकी अध्यक्षता में सपा ने विधानसभा के साथ लोकसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया. 1996 में पहली बार सपा ने लोकसभा चुनाव लड़ा. उस वक्त 111 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और इनमें से 16 को जीत मिली थी. 1998 में 166 में से 19, 1999 में 151 में से 26, 2004 में 237 में से 36, 2009 में 193 में से 23 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. मगर, 2014 में 197 में से सिर्फ 5 सांसद जीते थे.
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उस वक्त अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे. पार्टी की कमान उनके हाथ में आ चुकी थी. वह 2017 में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन गए. विधानसभा चुनाव 2017 में सपा ने 311 सीटों पर चुनाव लड़ा. लेकिन, पार्टी 47 सीटों पर सिमट गई. जबकि 2012 में उसने 212 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की थी. वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव सपा ने बसपा के साथ गठबंधन से लड़ा. सपा ने 49 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. लेकिन, सिर्फ 5 सीट जीत सकी. उसमें से भी उपचुनाव में रामपुर, और आजमगढ़ सीट उसके हाथ से फिसल गई. विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी ने 347 प्रत्याशी उतारे थे. लेकिन, 111 सीटों पर जीत मिल सकी.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2017 में पार्टी की कमान संभाली थी. इससे पहले उनके पिता और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ही अध्यक्ष थे. वह पिछले साल तीसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं. अखिलेश यादव की राजनीति में वर्ष 2000 में एंट्री हुई थी. वह पहली बार कन्नौज से सांसद चुने गए थे. इसके बाद 2004, 2009 में भी सांसद निर्वाचित हुए.
सपा की स्थापना के एक वर्ष बाद यानी 1993 में उत्तर प्रदेश की 422 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हुए थे. इनमें बसपा और सपा ने गठबंधन से चुनाव लड़ा. बसपा ने 164 प्रत्याशी उतारे. इसमें से 67 प्रत्याशी जीते थे. सपा ने इस चुनाव में अपने 256 प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से उसके 109 जीते. दोनों ने मिलकर सरकार बनाई थी.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद, बरेली