बरेली. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2022 के बाद नगर निकाय चुनाव, 2023 पर सभी सियासी दलों की निगाह लगी है.क्योंकि, नगर निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है. बरेली के निकायों में करीब 13.32 लाख मतदाता हैं. इसमें नगर निगम में 8.47 लाख मतदाता हैं. नगर निगम में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 3.75 लाख है, लेकिन इस बार मुस्लिम मतदाता खामोश हैं. लोकसभा, और विधानसभा चुनाव की तरह मुस्लिम मतदाताओं, और उनके मोहल्लों में शोर शराबा नहीं है. वह पूरी तरह से चुप हैं.उनका रुख भांपने की कोशिश में भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा नेता लगे हैं, लेकिन वह भी कुछ नहीं समझ पा रहे हैं.
बरेली में मुस्लिम मतदाताओं का ध्यान पार्टियों से अधिक चेहरों पर है. वार्ड पार्षद में सपा, कांग्रेस के साथ ही भाजपा भी है. वहीं मेयर (महापौर) के चुनाव में निर्दलीय (सपा समर्थित ) उम्मीदवार पूर्व मेयर डॉ.आईएस तोमर भी दम दिखा रहे हैं. हालांकि, एक बड़ा वोट बैंक अपने पाले में होने का दावा भाजपा प्रत्याशी एवं वर्तमान मेयर उमेश गौतम भी कर रहे हैं. पढ़ा लिखा मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को वोट करेगा ऐसा कहते हुए कांग्रेस प्रत्याशी सुने जा रहे हैं. उनका कहना है कि देश को एकता, और आगे बढ़ाने की बात सिर्फ कांग्रेस करती है. भाजपा से असली लड़ाई कांग्रेस लड़ रही है. बाकी दलों कि कहीं ना कहीं भाजपा से मिलीभगत है. इसलिए कांग्रेस हारे या जीते, लेकिन वोटर अपना वोट कांग्रेस को देंगे.
मुस्लिम उलमा बार-बार लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं. मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में उनकी अपील कितनी असर करेगी यह तो मतदान वाले दिन वोटों का प्रतिशत बताएगा. पहले चरण में मतदान का प्रतिशत कम रहा है. बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी को उतारा है, ऐसे में मुस्लिम मतदाता का फोकस बसपा प्रत्याशी होगा कि नहीं यह चुनाव के दिन तय हो जायेगा.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद