Bareilly News : उत्तर प्रदेश के बरेली मंडल के बदायूं जनपद में किशोर न्याय बोर्ड ने बुजुर्ग की मौत के मामले में आठ वर्ष बाद अनोखा फैसला सुनाया है. नाबालिकों को वृद्धाश्रम में रहकर 15 दिन बुजुर्गो की सेवा करने को कहा गया है. इसके साथ ही योगा करने को गया है. इसके बाद बाल सुधार गृह में रह चुके किशोर किशोरियों को छोड़ दिया जाएगा.
बदायूं जनपद के दातागंज में 25 जुलाई 2014 को प्रेमपाल ने मारपीट,गाली गलौज, धमकी देने और हत्या के प्रयास का का मुकदमा दर्ज कराया था.उनका कहना था कि मैं अपने घर के बाहर था.इसी दौरान उनके पुत्र वीरेंद्र से तीनों नाबालिक किशोर व किशोरियों का विवाद हो गया था. उन्होंने वीरेंद्र, मोर सिंह, पुत्री कुमकुम और समधी विजेंद्र को जान से मारने की नियत से पथराव कर फायरिंग की. इस फायरिंग में समधी विजेंद्र को गोली लग गई. जिसके चलते वह घायल हो गए थे. मुकदमा दर्ज होने के बाद गोली से घायल समधी विजेंद्र की मौत हो गई. जिसके चलते आरोपी किशोर और किशोरियों की उम्र की जांच कराई गई.
इसमें सभी आरोपी नाबालिक थे.जिसके चलते बाल किशोर गृह में रखा गया.किशोरों को 04 महीने और किशोरियों को 02 महीने में रहीं थी.किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान मजिस्ट्रेट आंचल अधाना, सदस्य प्रमिला गुप्ता और अरविंद कुमार ने तीनों के द्वारा उक्त घटना को स्वीकार किए जाने और गलती मानने के बाद फैसला सुनाया. इस फैसले में 15 दिनों तक बदायूं के कछला में स्थित वृद्ध आश्रम में जाकर बुजुर्गों की सेवा करने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की 15 दिन सेवा करने की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही बुजुर्गों की सेवा के साथ योग करेंगे. आश्रम के कार्यों में सहयोग करने को भी कहा गया है.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद