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UP New: बरेली समेत वेस्ट यूपी की आबोहवा बेहद खराब, सांस लेना मुश्किल, सहारनपुर छठवें स्थान पर

बरेली समेत वेस्ट यूपी (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) की हवा से ऑक्सीजन गायब होने लगी है.जिसके चलते बेस्ट यूपी की आबोहवा बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है.यहां के लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है.बरेली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शनिवार सुबह 4 बजे सबसे खराब स्थिति में था.यहां का AQI 227 था.

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली समेत वेस्ट यूपी (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) की हवा से ऑक्सीजन गायब होने लगी है. जिसके चलते बेस्ट यूपी की आबोहवा बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है. यहां के लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है. बरेली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शनिवार सुबह 4 बजे सबसे खराब स्थिति में था. यहां का AQI 227 था. शनिवार दोपहर को AQI में कुछ सुधार हुआ है. जिसके चलते AQI 141 पर आ गया है. शहर के सिविल लाइंस का AQI 166, राजेंद्र नगर का AQI 102 और सुभाष नगर का AQI 156 है. यह तीनों ही AQI काफी खराब हैं.

इसके साथ ही दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में सहारनपुर 6वें स्थान पर है. यहां का AQI शनिवार को 376 था. 9 वें स्थान पर मेरठ है. मेरठ का AQI 336, 10 वें स्थान पर मुजफ्फरनगर का AQI 328, 13 वें स्थान पर हापुड़ का 302, 18वें स्थान पर कैराना का 282, 22 वें स्थान पर नोएडा का 273, 36 वें स्थान पर बुलंदशहर का 223, 49 वें स्थान पर गाजियाबाद का 205, 60 वें स्थान पर अलीगढ़ का 190, 74 वें स्थान पर लखनऊ का 176, 75वें स्थान पर आगरा का 175, 95 वें स्थान पर इलाहाबाद (प्रयागराज) का AQI 164 है.

बरेली समेत वेस्ट यूपी का एक्यूआई काफी बढ़ने लगा है. शनिवार सुबह बरेली का AQI 241 था, जो बेहद खराब है. बरेली, और वेस्ट यूपी में तापमान गिरने के बाद AQI बढ़ा है. इसके साथ ही धूल और धुएं से AQI बढ़ रहा है. बरेली के कुतुबखाना में काफी समय से ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है. इसके भी बरेली का AQI बढ़ रहा है. यहां निर्माण कार्य के चलते सुबह से लेकर रात धूल उड़ती है.

जानें कितनी होनी चाहिए ऑक्सीजन

ऑक्सीजन इंसान के लिए काफी जरूरी है.इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है.सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए.इसके नीचे ऑक्सीजन जाने से नुकसान होता है. AQI बढ़ने से बच्चों, और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है.ऐसे में घरों से निकलने में एहतियात बरतने की जरूरत है. लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है. डॉक्टर एन-95 मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.

यह होना चाहिए एक्यूआई

0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है.इससे सेहत पर कम असर होता है.51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है.101 के बाद ठीक नहीं है.101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है.201-300 AQI काफी खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है. 301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा होता है. 401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है. इंसान की सेहत पर सबसे अधिक खराब असर पड़ता है.

बढ़ता AQI सेहत के लिए काफी हानिकारक

इंसान की सेहत के लिए AQI का बढ़ना काफी घातक है. वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है. दरअसल, प्रदूषित कणों से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है. जिसके चलते नली पतली होती चली जाती है और इसका असर फेफड़े और इसके आस-पास की मांसपेशियों पर पड़ता है .वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में भी अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती है. इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती है.

गर्भवती महिलाओं पर भी असर

दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है. जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है. इससे प्री-मेच्योर डिलीवरी का खतरा बन जाता है. इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है, जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है. इंसान की त्वचा में रूखापन, जलन, रेडनेस और एक्ज़िमा जैसी तकलीफें आपको हो रही हैं, तो समझ जाए कि वायु प्रदूषण आपकी त्वचा पर वार कर रहा है. प्रदूषित हवा में मौजूद कणों की वजह से त्वचा काफी प्रभावित हो सकती है. वायु प्रदूषण, सेकेंड हैंड स्मोक, रेडान, अल्ट्रावायलेट रेडिएशन, एस्बेस्टस के अलावा, कुछ केमिकल समेत अन्य प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आने से कैंसर का भी खतरा हो सकता है. यह कैंसर जानलेवा साहित हो सकता है.

पूरे शरीर पर प्रदूषण डालता है असर

वायु प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी भी घर कर सकती है.इसका सीधा संबंध किडनी से होता. इसके अलावा प्रदूषित वायु में पाए जाने वाले कार्बन से किडनी डैमेज का भी खतरा बन जाता है. स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सबसे जरूरी ऑर्गन हार्ट होता है और वायु प्रदूषण फेफड़ों और किडनी के अलावा दिल पर भी वार करता है. वायु प्रदूषण से दिल की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण में इजाफा के चलते धड़कनों का असंतुलित होना, हार्ट फेल होना और हाइपरटेंशन जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. इन समस्याओं के लक्षण शरीर पर दिखाई देने लग जाते हैं. प्रदूषित हवा का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है. डॉक्टरों के मुताबिक उम्रदराज लोगों और बुजुर्गों के मस्तिष्क पर प्रदूषित के कण हमला करते है. इससे उन्हें बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है,और आसान गणित के सवालों को सुलझाने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

ऐसे बचें प्रदूषण से

डॉक्टरों का मानना है कि अगर आपको वायु प्रदूषण से बचाव करना है, तो मास्क का उपयोग करना होगा. इसके अलावा पर्याप्त पानी पीना, और बेवजह बाहर घूमने से भी बचना पड़ेगा. इन सब उपायों के बाद ही वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है.इसके अलावा अगर घर के अंदर वायु प्रदूषण को रोकना है, तो आपको किचन के अंदर चिमनी और वाशरूम में एग्जास्ट फैन का इस्तमाल करना होगा, जिससे घर में पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेशन होता रहे.

रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली

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