कोटा/बेगूसराय : लॉकडाउन के चलते बीते एक महीने से राजस्थान के कोटा में फंसे बिहार के 1,200 से अधिक छात्र आखिरकार रविवार को विशेष ट्रेन में सवार होकर अपने घरों को रवाना हो गये. हालांकि, कोटा में अब भी 10 हजार छात्र अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. चौबीस बोगियों में सवार 1,211 छात्र दोपहर करीब 12 बजे कोटा से बेगूसराय के लिये रवाना हुए. बेगूसराय के एक निवासी रविराज ने ट्रेन में बैठने के बाद कहा, ”मैं आज अपने घर बेगूसराय जाने के लिये सरकार और अपने संस्थान का आभारी हूं. लॉकडाउन के चलते हम बहुत परेशानियां झेल रहे थे और वापस जाने का शिद्दत से इंतजार कर रहे थे.”
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि एक और ट्रेन गया जोन के छात्रों को लेकर रविवार रात कोटा से रवाना होगी. यह ट्रेन यात्रा के दौरान कहीं नहीं रुकेगी. इस कवायद में जिला प्रशासन का सहयोग कर रहे कोचिंग सेंटर के एक सदस्य ने कहा कि कोटा प्रशासन ने मोबाइल फोन पर संदेश भेजकर छात्रों को उनकी यात्रा के बारे में सूचित किया और जिन छात्रों को यह संदेश मिला है, केवल उन्हें ही रेलवे स्टेशन में प्रवेश की अनुमति है. बड़ी संख्या में छात्र ट्रेन में सवार होने के लिये कोटा रेलवे स्टेशन के बाहर जमा हो गये थे.
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बिहार के विभिन्न हिस्सों के 12 हजार से अधिक छात्र, 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के चलते कोटा में फंस गये थे. वे अपने घरों को लौटने के लिये बार बार बिहार सरकार से इंतजाम करने की अपील कर रहे हैं. कुछ छात्रों ने अपने छात्रावासों के निकट बिहार सरकार के खिलाफ धरना भी दिया.
हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह कहते हुए प्रवासियों के लिये यात्रा का प्रबंध करने से इनकार कर दिया कि ऐसा करना कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग से समझौता करना है. नीतीश कुमार की उनके इस रुख के लिये आचोलना हुई, विशेषकर तब जब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश ने अपने छात्रों को लाने के लिये बसें कोटा भेजीं. बिहार में विपक्षी दल राजद ने कुमार को पूरी तरह भ्रमित व्यक्ति करार दिया.