गया. आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए बुधवार की देर रात दो-दो बार ट्रेंकुलाइज ( बेहोश करने की प्रक्रिया) किया गया. इसमें एक बार ट्रेंकुलाइज से बच गया. दोबारा आठ बजे बाघ को ट्रेंकुलाइज किया गया. इसमें बाघ पूरी तरह से ट्रैंकुलाइज हो गया था. ट्रैंकुलाइजर होते ही बाघ गन्ने के खेत की तरफ भागा. बाघ को रेस्क्यू करने के लिए रेस्क्यू टीम ने गन्ने के खेत को चारों तरफ घेर लिया. आधा घंटा से अधिक समय तक बाघ को खोजा गया, लेकिन अंधेरे की वजह से नहीं मिला. वाल्मीकिनगर रेंजर रोबिन आनंद ने बताया कि बाघ को ट्रेंकुलाइज करने वाली दवा का असर 30 से 40 मिनट तक रहता है. उसके बाद बाघ फिर होश में आ जाता है. इसको देखते हुए रेस्क्यू टीम को वापस लौट दिया गया.
बाघ होश में आकर फिर किसी पर हमला नहीं बोल दे. उन्होंने बताया कि गुरुवार को अहले सुबह घटनास्थल के आसपास बाघ को चहलकदमी करते देखा गया. इसके बाद सुबह से ही रेस्क्यू के लिए सभी संसाधनों के साथ रेस्क्यू टीम को हाइअलर्ट कर तैनात कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि बाघ का रेस्क्यूकरने के लिए रेस्क्यूटीम सभी संसाधन के साथ लैस है. इसमें ड्रोन कैमरा, चार पिंजरा, दो ट्रैंकुलाइजर गन, दो महाजाल, दो-दो रेस्क्यू वैन शामिल है. सरेह के अंदर दो-दो पिंजरा में बकरियों को रखा गया है. ताकि बाघ भोजन की तलाश में बकरी पर हमला के दौरान पिंजरा में बंद हो जाए. रेस्क्यू के लिए वन विभाग हर संसाधन से पूरी तरह लैस है.
वीटीआर के हरनाटांड़ वन क्षेत्र में आदमखोर बाघ के आतंक से ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं. इस बाघ को पकड़ना वन विभाग के मुश्किल लग रहा है. उसे पकड़ने के लिए वन विभाग के पांच वन क्षेत्र के 60 वनपाल, वनरक्षी व टीटी-पीपी के साथ पांच वैन, चार महाजाल, दो ट्रैंकुलाइजर गन के साथ एक्सपर्ट, एक ड्रोन कैमरा, दो रेस्क्यू ट्रैक्टर को लगाया गया है. ड्रोन कैमरा व रेस्क्यू वैन से बाघ की निगरानी करायी जा रही है. बाकी रेस्क्यू की मदद को लौकरिया थानाध्यक्ष अभय कुमार के नेतृत्व में पुलिस बल, एसटीएफ की जवान की तैनाती की गयी है.
यह बाघ पिछले 10 दिनों में दो लोगों को अपना शिकार बना चुका है. वन प्रमंडल दो हरनाटांड़ वन क्षेत्र की देवरिया तरूअनवा पंचायत के बरवा काला सरेह में बुधवार को सुबह रामप्रसाद उरांव (60 वर्ष) को बाघ ने मार डाला था. बीते 12 सितंबर को बैरिया काला निवासी गुनबदनी देवी (40) को बाघ ने मार डाला था.