Valmiki Nagar Tiger Reserve : विटीआर का वन क्षेत्र इन दिनों राष्ट्रीय पक्षी मोरों से चहचहाने लगा है. मोरों की बढ़ती संख्या को देख वीटीआर प्रशासन वन मंत्रालय को अधिवास क्षेत्र बनाने के लिए प्रस्ताव भेज रहा है. जिसमें मोरों के बेहतर संरक्षण व रखरखाव तथा सभी सुविधाओं को ख्याल रखा जायेगा ताकि यहां देश-विदेश से आने वाले पर्यटक बाघ, भालू, जंगली भैंसा, हरिण के साथ-साथ मोरों के आकर्षक नृत्य को भी देख सकें.
वीटीआर के वन क्षेत्रों में सात माह पहले लगभग 1500 मोरों की संख्या का अनुमान लगाया गया था. अधिकारी बताते हैं कि मोरों की संख्या की गणना नहीं होती है. वन क्षेत्रों के जंगलों में जानवरों की संख्या करने के दौरान इसकी संख्या को देखकर ही अनुमान लगाया जाता है. मोरों का प्रजनन का समय अप्रैल से जुलाई तक की होता है. इन प्रजनन के समय में मोरों की संख्या बढ़ी है. जिससे वीटीआर प्रशासन शुभ संकेत मानते हुए खुशी महसूस कर रहा है. एक मोर तीन से चार अंडे देता है. जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पिछले 1500 से बढ़कर मोरों की संख्या 2000 के करीब पहुंच गयी होगी.
वीटीआर प्रशासन ने पांच वन क्षेत्रों के सात जगहों क्रमश: मदनपुर, सिरिसिया, नौरंगिया, वाल्मीकिनगर, भेड़िहारी, हरनाटांड़ तथा प्रमंडल एक के गोबर्धना, मंगुराहा वन क्षेत्र को अधिवास क्षेत्र बनाने के लिए चयन किया है, क्योंकि यहां पर मोरों की अधिक संख्या पायी जाती है. इन दिनों वीटीआर में मोरों की संख्या दो हजार से अधिक का अनुमान लगाया जा सकता है. मोरों की संख्या अधिक हो जाने से मोर जंगल से सटे वनवर्ती गांवों तथा कभी-कभी शहरी क्षेत्रों में भी पहुंच जाते हैं.
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वीटीआर के वन संरक्षक ने कहा कि वन क्षेत्रों में मोरों की संख्या बढ़ी है. मोरों के बेहतर संरक्षण और रखरखाव हो इसके लिए उनके बेहतर अधिवास क्षेत्र के स्थानों का चयन कर अधिवास क्षेत्र बनाने तथा मोरों की सभी सुविधाओं का ख्याल रखते हुए वन मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जा रहा है.