ब्रजेश नंदन माधुर्य, भागलपुर: भागलपुर के पीरपैंती प्रखंड में मिनिस्ट्री ऑफ कोल ने काेयला उत्खनन की मंजूरी दे दी है. मिनिस्ट्री ने इसका नामकरण भी कर दिया है. इस कोयला खदान का नाम ”मंदार पर्वत” कोल ब्लॉक रखा गया है और इसे राजमहल कोल फिल्ड में शामिल किया है. साथ ही मेटल स्क्रैप ट्रेड कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएसटीसीएल) को कोयला इ-ऑक्शन करने की जिम्मेदारी भी सौंप दी है. यह बिहार का पहला कोल ब्लॉक होगा.
एमएसटीसीएल की ओर से इ-ऑक्शन किया जा रहा है. फाइनेंशियल बिड 24 जनवरी को खोला जायेगा. जिनके नाम का फाइनेंशियल बिड खुलेगा, उनके साथ एग्रीमेंट कर लीज पर कोयला उत्खनन शुरू कर दिया जायेगा. लीज की अवधि 50 साल के लिए होगी. इससे पहले टेक्निकल बिड खोला जायेगा. इसमें सफल एजेंसियों का ही फाइनेंसियल बिड खुलेगा. टेक्निकल बिड 20 जनवरी से पहले खुलेगा. कोयला इ-ऑक्शन में देश-विदेश की एजेंसियां भाग ले रही हैं. सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो इस साल के अंत तक कोयला का उत्खनन शुरू हो जायेगा.
पीरपैंती में कोयले का भंडार करीब 340.35 मिलियन टन है. यह 78 से 90 मीटर के बेस में है और उसके ऊपर मिट्टी की मोटी परत है. इसे 10 सीमांत में बंटा है. कोयले की मोटाई और गहराई सीमांत के हिसाब से बांटी गयी है. सबसे ज्यादा कोयले का भंडारण सीमांत-2 में है. यहां कोयले का 13.14 से 72.90 मीट थीकनेस रेंज है, जो 81.42 142.50 मीटर बेस में है. यहां सर्वाधिक कोयला का भंडारण 144.622 मिलियन टन है.
विभागीय अधिकारी के अनुसार कोयला ग्रेड 12 कोटी का है. कहीं-कहीं यह ग्रेड-9 का भी है. यानी मीडियम ग्रेड का काेयला है और इसका बिजलीघरों में भी उपयोग हो सकेगा. यहां सीमांत-2 व 4 व थ्री(टॉप) में ग्रेड 9 कोटी का कोयला है.
जमीन के अंदर मिलनेवाले कोयले के भंडार से हर साल कितना उत्खनन किया जाना है, यह तय कर लिया गया है. 90 मीटर के बेस से हर साल 17.5 मिलियन टन कोयले का उत्खनन होगा. खान विकसित होने के बाद उत्खनन होगा. खनन के लिए अलग से कार्ययोजना बनी है.
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भलुआ सुजान,
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करहारा बसदेवपुर मिलिक,
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बिशुनपुर,
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मझगवां,
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सेमरिया,
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कैरिया मिलिक,
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कैरिया,
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जंगल गोपाली,
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सियान,
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लगमा,
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जेठियाना,
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रतनपुर दोम,
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जगरनाथपुर मिलिक आदि
भागलपुर खान व भूतत्व विभाग के जिला खनिज विकास पदाधिकारी कुमार रंजन ने बताया कि पीरपैंती के कोल ब्लॉक से कोयला उत्खनन करने की मंजूरी मिल गयी है. उत्खनन कार्य को लीज पर देने की प्रक्रिया अपनायी जा रही है. टेंडर निकाल दिया गया है. एजेंसी चयनित होने के साथ इसे लीज पर दिया जायेगा. इस कोल ब्लॉक का नामकरण मंदार पर्वत पर किया गया है.
कोलकाता से आयी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने इस कोल ब्लॉक खोजा था. जीएसआइ की टीम ने केंद्र सरकार को बताया था कि भागलपुर के इन इलाकों में जी-थ्री से लेकर जी-14 तक की क्वालिटी का कोयला मौजूद है, जो कि कोयले की सबसे उत्तम क्वालिटी हैं. जीएसआइ की टीम ने इसे साल 2012 में ही खोज निकाला था, लेकिन इस काम में तेजी वर्ष 2019 में आयी. इसके बाद ये चर्चा तेज हुई कि अब बिहार में सस्ते दर में कोयला मिलेगा. दरअसल, साल 2000 में बिहार विभाजन के बाद सारी खनिज सम्पदाएं झारखंड के हिस्से में रह गयी, लेकिन अब इस कोल ब्लॉक के मिलने से इसका फायदा बिहार को मिलेगा.
कोल ब्लॉक क्षेत्र में जल निकासी के लिए दो चैनल है. धूलिया नाला कोल ब्लॉक के दक्षिण में है. दूसरा नाला कोल ब्लॉक के पूर्व में है. कोल ब्लॉक के दक्षिण पूर्व और ब्लॉक के पूर्व से एक और नाला व ब्लॉक के मध्य भाग में भी एक नाला है, जो ब्लॉक के उत्तर पश्चिमी भाग की ओर बहती हुई कोआ नाला में मिल जाता है. क्षेत्र की मुख्य जल निकासी गंगा नदी द्वारा लगभग 10 किमी ब्लॉक के उत्तर में नियंत्रित होती है.
मंदार पर्वत कोल ब्लॉक के लिए 153 प्रोविजनल कार्डिनल प्वाइंट तय किया गया है, जो यह देशांतर को दर्शाता है. कोयला उत्खनन के लिए टेंटेटिव पीक रेटेड कैपेसिटी तय कर ली गयी है.
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साल 2012 से ही पीरपैंती में जीएसआइ की टीम सर्वे कर रही थी. सात साल बाद वैज्ञानिकों की टीम ने इलाके में कोयले का बड़ा भंडारण होने की संभावना जतायी. इसके बाद 20 मार्च 2018 को टीम ने बीसीसीएल धनबाद और सीएमपीडीआइ की टीम को रिपोर्ट सौंपी. फिर केंद्रीय टीम ने इस ओर ध्यान देते हुए काम में तेजी लाने के निर्देश दिया था.
कोयला मिलने की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को पहले ही भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कह दिया है. मौजूदा जानकारी के मुताबिक पीरपैंती प्रखंड के चिह्नित गांवों में खनन शुरू करने से पहले भू-अर्जन किया जायेगा. रैयतों से जमीन का अर्जन जिला प्रशासन के माध्यम से होगा और जमीन के बदले रैयतों को मुआवजा का भुगतान किया जायेगा.
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