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भागलपुर विस्फोट: बंगाल से विस्फोटक मंगाते थे नवीन और लीलावती, पटाखा के अवैध निर्माण से अंजान थी पुलिस

पटाखा बनाने के लिए इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक भागलपुर शहर में प्रवेश करती है और फिर इसे एक ही छत के नीचे छिपा कर रखा जाता है. पूरे मोहल्ले को उक्त घर में होने वाले पटाखा के अवैध निर्माण की जानकारी है परंतु पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी.

भागलपुर के तातारपुर थाना क्षेत्र के काजवालीचक स्थित धमाके की जांच के लिए एटीएस की टीम पहुंच गयी है. घटनास्थल को टीम ने सील कर जांच शुरू कर दी है. काजीवलीचक में हुए जोरदार विस्फोट ने चार घरों को ध्वस्त कर 14 लोगों की जान ले ली. इस मामले में पुलिस ने पटाखा के अवैध निर्माण और इसके भंडारण को लेकर हुई घटना होने की बात कही है. पटाखा बनाने के लिए इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक भागलपुर शहर में प्रवेश करती है और फिर इसे एक ही छत के नीचे छिपा कर रखा जाता है. पूरे मोहल्ले को उक्त घर में होने वाले पटाखा के अवैध निर्माण की जानकारी है परंतु पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी. इससे यह स्पष्ट है कि पटाखा के अवैध निर्माता और उसका कारोबार करने वाले बड़े ही गुप्त तरीके से इस धंधे को लगातार चला रहे थे. लीलावती देवी और महेंद्र मंडल के एक करीबी ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि उक्त अवैध कारोबार में लीलावती देवी और नवीन मंडल का परिवार लगातार सक्रिय था.

वहीं इससे पूर्व गणेश सिंह भी इसी घटना में संलिप्त था. पर विगत वर्ष 2008 में हुए विस्फोट में गणेश का एक हाथ उड़ गया था. इसके बाद उसने इस कारोबार से तौबा कर लिया और ठेकेदारी के काम में घुस गया था. सूत्र ने बताया कि लीलावती देवी और महेंद्र मंडल का बेटा नवीन मंडल दोनों के पास एक पुराना एक्सपायर लाइसेंस है. जिसे वे लोग फर्जी तरीके से अपडेट करा उसके माध्यम से ही बंगाल के मालदा सहित कई अन्य शहरों से बारूद का क्रय करते थे. उक्त लाइसेंस ही दिखा कर वे लोग राज्यों के बॉर्डर सहित अन्य चेक पोस्ट को पार करा विस्फोटक को भागलपुर मंगवाते थे. हालांकि पुलिस उक्त बिंदु पर भी जांच कर रही है.

पटाखा बनाने के साथ-साथ घातक बम का भी हो रहा था निर्माण

सूत्र ने बताया कि मो आजाद के घर खरीदने के बाद अचानक लीलावती देवी और नवीन मंडल काफी ज्यादा पैसा कमाने लगे थे. उसने यह भी बताया कि हबीबपुर के रहने वाले एक आपराधिक प्रवृति के व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद लीलावती और नवीन विस्फोटकों का उपयोग केवल पटाखा बनाने के लिए नहीं बल्कि घातक बम बनाने में भी करने लगे थे. इसके अलावा जो भी लोग अवैध घातक बम का निर्माण और इस्तेमाल करते थे उन्हें भी खुला बारूद बेचते थे.

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पुलिस को नहीं थी भनक

काजीवलीचक बम विस्फोट को लेकर हुई घटना में एक बात साफ तौर पर स्पष्ट हुआ है कि मामले में पुलिस के सारे सूचना तंत्र फेल साबित हुए. हालांकि मामले में लापरवाही बरतने वाले थानाध्यक्ष को सस्पेंड कर दिया गया है. पर अन्य किसी भी पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई है. भागलपुर के काजीवलीचक में हुए विस्फोट की घटना केवल पटाखा निर्माण में हुए विस्फोट की ओर इशारा नहीं बल्कि कुछ और ही कहानी बयां कर रही है.

विस्फोट की भयावहता और घर के भीतर से बरामद काफी मात्रा में कील से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उक्त घरों में केवल पटाखा बम ही नहीं बल्कि अपराधियों द्वारा प्रयोग किया जाने वाले घातक बम भी बनाया जाता था. कई सारे केमिकलों की भी बरामदगी की सूचना मिली है. जिससे यह भी स्पष्ट है कि पटाखा में इस्तेमाल किये जाने वाले विस्फोटकों को घातक बम बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा था और एक साथ कई सारे बम दोनों घरों में मौजूद होने की वजह से धमाके ने बड़ा रूप ले लिया और पूरे शहर को दहला दिया.

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