भागलपुर के सिपाही प्रशिक्षण केंद्र (सीटीएस) परिसर के पीछे शुक्रवार को चार कथित जिंदा बम मिले. जिस जगह से बम बरामद किया गया है वहां से कुछ ही दूरी पर सीटीएस प्राचार्य का कार्यालय है. जांच के लिए डॉग स्क्वायड की टीम को लगाया गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआइजी सुजीत कुमार भी मौके पर जांच करने पहुंचे.
देर शाम यहां बम की जांच करने बम निरोधक दस्ता भी पहुंचा. दस्ते ने आधे घंटे की जांच के बाद स्पष्ट किया कि यह बम नहीं है. किसी ने जान बूझ कर दहशत फैलाने के लिए डिब्बे को इस तरह पैक कर रखा कि वह दूर से बम दिखे. इस खुलासे के बाद स्थानीय थाना, सीटीएस अधिकारियों के साथ-साथ आम लोगों ने राहत की सांस ली. हालांकि बम की सूचना पर जिले के थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गयी थी और मामले की छानबीन कर रही थी.
मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच करने खुद डीआइजी सुजीत कुमार दिन 12 बजे सीटीएस पहुंचे. उन्होंने सीटीएस प्राचार्य के साथ पौने एक घंटे तक बैठक की. सीटीएस अधिकारियों व नाथनगर इंस्पेक्टर से जानकारी लेकर घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने निरीक्षण के बाद जांच के लिए डॉग स्क्वायड टीम को बुलाया.
सीटीएस परिसर के पिछले भाग में सीसीटीवी कैमरा का पहरा नहीं है. मोहल्ले में भी किसी घर के बाहर सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है. ऐसे में सीटीएस परिसर में कथित बम किसने रखा है इसकी जानकारी मिलनी कठिन है. पुलिस लोगों से लगातार पूछताछ कर रही है, लेकिन अब तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है.
दहशत में रहे लोगो ने बोला की शहर को अशांत करनेवाले पकड़े जायें, बम मिलने की सूचना के बाद इलाके में पूरे दिन लोगों का जमावड़ा लगा रहा. तरह-तरह की बातें होती रहीं. सबका कहना था कि शहर को अशांत करनेवाले लोग लगे हुए हैं. ऐसे लोगों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.
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सिलाटर मोहल्ले से सटी दीवार फांद कुछ लोग सीटीएस परिसर में रोजाना शौच करने आते हैं. इस दौरान एक व्यक्ति की नजर सबसे पहले दीवार से सटा कर रखे गये दो डिब्बे पर गयी. उसने इसकी जानकारी सीटीएस के जवानों को दी. सीटीएस प्रशासन ने इसकी जानकारी नाथनगर थाना इंस्पेक्टर सज्जाद हुसैन को दी. सीटीएस डीएसपी, इंस्पेक्टर और दारोगा घटना स्थल पर पहुंचे. नाथनगर इंस्पेक्टर ने अपने आलाधिकारियों को इसकी सूचना दी.
वर्ष 1905 से सीटीएस पुलिस जवानों को प्रशिक्षण देने में अहम भूमिका निभा रहा है़ यहां अभी 1200 जवान, 300 डीएसपी, इंस्पेक्टर, दाराेगा और हवलदार रैंक के पुलिसकर्मी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. ये लोग इसी परिसर में रहते हैं. यहां प्रवेश करने का सबसे सुलभ रास्ता सीटीएस परिसर का पिछला हिस्सा है. यहां दो तरह की चहारदीवारी है, एक जो काफी ऊंची है और कांटे से सुरक्षित है, तो दूसरी चहारदीवारी छोटी है.
एक खंभे से दूसरे खंभे को सही से नहीं जोड़ा गया है. इस गैप से आसानी से कोई भी प्रवेश कर सकता है. चहारदीवारी आने-जाने के लिए तोड़ दी गयी है. इस मार्ग से कोई भी आसानी से सीटीएस के प्राचार्य कक्ष और बैरक तक पहुंच सकता है. रोजाना आसपास के मोहल्ले के कुछ लोग शौच के लिए सीटीएस के इसी परिसर का उपयोग करते हैं. इसके अलावा सुबह होते ही परिसर में युवकों की टुकड़ी जुआ खेलने आ जाती है.