भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था प्रधान सचिव की कार्रवाई के बाद भी सुधरने का नाम नहीं ले रही है. यहां कोरोना पॉजिटिव मरीज की हालत गंभीर होने के बाद भी उसे आइसीयू में भर्ती होने के लिए दो घंटे तक इंतजार करना पड़ता है. इसकी वजह कभी ट्रॉली मैन का नहीं होना होता है, तो कभी कुछ और. घालमेल की इस व्यवस्था का असर मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. कुछ ऐसा ही दिखा सोमवार को. यहां एक कोरोना संक्रमित महिला को उसके परिजन इलाज के लिए लेकर आये थे.
सोमवार को महिला की हालत बिगड़ी तो उसे इलाज के लिए आइसीयू में भरती कराने की जरूरत हुई. इसके लिए घंटों इंतजार व हुज्जत के बाद आइसीयू में भेजने की व्यवस्था हो गयी तो पता चला कि ट्रॉलीमैन नहीं है. उसके इंतजार में घंटों बीत गये. इस दौरान परिजन कभी इधर तो कभी उधर गुहार लगाते रहे. खैर जैसे-तैसे आइसीयू में मरीज भरती हुई, लेकिन वहां इलाज क्या हुआ यह तो पता नहीं, पर सब कहते रहे कि मरीज ठीक है, पर जब उनके परिजन खाना खिलाने अंदर गये तो पता चला कि वो मर चुकी हैं, क्या हुआ और कैसे हुआ यह बतानेवाला कोई नहीं है. शव के पास ऑक्सीजन का पाइप रखा था, दवा भी बेड पर पड़ा था.
चुनहारी टोला निवासी उक्त महिला को परिजन रविवार को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लेकर आये थे. शाम में कोरोना जांच की गयी. जहां वह पॉजिटिव पायी गयीं. उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया. वहां के इलाज से भी परिजन संतुष्ट नहीं थे. सोमवार को दोपहर में मरीज को आइसीयू में शिफ्ट करने की सलाह दी गयी. परिजनों का आरोप है कि दवा के रैपर से एक भी दवा नहीं निकली थी.
Posted By: Thakur Shaktilochan