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भागलपुर: भीषण गर्मी से सुखाड़ की आहट, इससे ज्यादा बारिश के बाद भी पिछले साल हुई थी सुखाड़ की घोषणा

जिले में जून के प्रथम सप्ताह से बिचड़ा बोने का काम शुरू हो जाता था. अब तक 30 से 40 प्रतिशत तक बिचड़ा लगाने का काम हो जाता था. इस बार भीषण गर्मी के बीच ऐसी भयावह स्थिति बन गयी है कि एक प्रतिशत बिचड़ा बुआई नहीं हुई. बमुश्किल 5123 हेक्टेयर भूमि में मात्र 45 हेक्टेयर भूमि में बिचड़ा लग पाया है.

भागलपुर: खरीफ मौसम में पिछले साल भागलपुर प्रमंडल के धान उत्पादक क्षेत्रों में सुखाड़ की घोषणा की गयी थी. इस बार तो भीषण गर्मी के बीच और कम बारिश हुई. ऐसे में बिचड़ा बोने के समय ही सुखाड़ की आहट दिखने लगी है. जिले में जून के प्रथम सप्ताह से बिचड़ा बोने का काम शुरू हो जाता था. अब तक 30 से 40 प्रतिशत तक बिचड़ा लगाने का काम हो जाता था. इस बार भीषण गर्मी के बीच ऐसी भयावह स्थिति बन गयी है कि एक प्रतिशत बिचड़ा बुआई नहीं हुई. बमुश्किल 5123 हेक्टेयर भूमि में मात्र 45 हेक्टेयर भूमि में बिचड़ा लग पाया है, जो कि 0.89 प्रतिशत बिचड़ा का काम पूरा हो सका. जिले में सबसे अधिक गोराडीह में 1.20 प्रतिशत बिचड़ा लगा है. इसके अलावा जिले के सभी आठ धान उत्पादक प्रखंडों की स्थिति इससे भी खराब है. हालांकि शाहकुंड के कुछ इलाके में बोरिंग से सिंचाई हुई और 10 हेक्टेयर में बिचड़ा लगा है.

गत वर्ष अब तक हुई थी 91 एमएम वर्षा, इस साल 72 एमएम

पिछले साल के आंकड़े के अनुसार जिले में 91 एमएम से अधिक बारिश हुई थी, जबकि इस बार अब तक 72 एमएम ही बारिश हो पायी है. सामान्य बारिश 170 एमएम होनी थी और वास्तविक बारिश 378 प्रतिशत होनी थी. हालांकि जून में पिछले साल कम बारिश हुई थी और इस बार अधिक बारिश हुई. पिछले साल दो एमएम ही बारिश हुई थी. इस बार 21 एमएम बारिश हुई. धान की खेती और बिचड़ा के लिए अप्रैल, मई और जून की बारिश को जोड़ने की जरूरत है.

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बोले कृषि पदाधिकारी

भागलपुर के जिला कृषि पदाधिकारी अनिल यादव ने कहा कि जिले में धान उत्पादक क्षेत्र में खेती बारिश पर निर्भर है. जबतक बारिश नहीं होगी, तब तक बिचड़ा नहीं लग सकता है. सभी जगह पर बोरिंग भी सक्सेस नहीं है. हालांकि किसान को कम अवधि वाले धान और जीरो टिलेज विधि से धान की खेती करने की जरूरत है.

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