भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी में कोरोना जांच करने वाले लैब टेक्नीशियन की लापरवाही से एक परिवार के बीच अब कोरोना संक्रमण का खतरा पैदा हो गया है. दरअसल गुरुवार रात रात सड़क हादसे के दौरान एक व्यक्ति की मौत बाइपास के समीप हो गयी थी. करीब पचास साल के इस अधेड़ को लेकर परिजन अस्पताल आये. जहां डॉक्टर ने इनको मृत धोषित कर दिया.
शुक्रवार को पुलिस शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए ले जा रही थी. इसके लिए कोरोना जांच पहले जरूरी था. अस्पताल में लैब टेक्निशियन मौजूद थे. लेकिन इन लोगों ने मृतक का सैंपल लेने से इंकार कर दिया. एंटीजन किट मृतक के परिजनों को थमाते हुए जांच के लिए कह दिया. इसका जब परिजनों ने विरोध किया तो लैब टेक्नीशियन ने बाद में जांच करने की बात कही. अंत में हार कर परिजन ने मृतक का एंटीजन जांच किया. साथ ही आरटीपीसीआर का भी सैंपल परिजनों से निकालने के कहा.
गंभीर बात यह कि जिस परिजन को जांच के लिए किट थमाया गया उसे सुरक्षा के लिए पीपीइ किट तक नहीं दिया गया. जांच रिपोर्ट जब सामने आयी तो मृतक कोरोना पॉजिटिव पाया गया. वहीं दूसरी लापरवाही इमरजेंसी में देखी गयी. बांका जिले से इलाज के लिए लायी गयी कोरोना संक्रमित बुजुर्ग महिला गुरुवार को अस्पताल आयी थी. इसके बाद भी इसे एमसीएच वार्ड में भर्ती करने के बदले इमरजेंसी में रात भर रख दिया गया. जब इनकी मौत इलाज के दौरान हुई तो शव को इमरजेंसी परिसर में ही खुले आसमान के नीचे रख दिया गया. परिजनों ने कई बार अलग कर लाश को रखने का आग्रह किया लेकिन किसी ने इनकी बात को नहीं सुना.
बता दें कि भागलपुर जिले में शुक्रवार को अब तक का सबसे सबसे ज्यादा 165 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले है. इसमें झारखंड साहेबगंज में रहने वाले दो लोग शामिल है. इन लोगों ने कोरोना जांच भागलपुर में कराया था. वहीं शहरी क्षेत्र में कुल 61 कोरोना संक्रमण का शिकार हो गये है.
Posted By: Thakur Shaktilochan