भागलपुर: कोसी के इलाके में पूर्व सीएम बीपी मंडल और पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की जन्म व कर्मभूमि रही है. मधेपुरा, सहरसा और मौजूदा सुपौल के सभी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव का मैदान तैयार है. संभावित उम्मीदवार चुनावी गुना-भाग में लगे हैं. बाद के दिनों में कोसी का इलाका राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, शरद यादव की कर्मभूमि बना. कोसी में इस बार जोरदार संघर्ष के आसार हैं. इस बार का समीकरण बदला हुआ है. पिछला चुनाव जदयू-राजद ने साथ-साथ लड़ा था, तो इस बार भाजपा व जदयू साथ-साथ है. ऐसे में इस बार का चुनावी समीकरण भी अलग है.
सुपौल में पांच, मधेपुरा व सहरसा में चार-चार विस सीटें हैं. इन 13 सीटों में सुपौल सीट से पिछले सात चुनावों में बाजी मारने वाले ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव फिर मैदान में होंगे. मधेपुरा के आलमनगर सीट से चार चुनाव जीतनेवाले मंत्री नरेंद्र यादव मैदान में होंगे. वैसे, जाप सुप्रीमो पप्पू यादव का गृह क्षेत्र होने के कारण पप्पू की पार्टी की मौजूदगी भी तय है. उनका दौरा भी जारी है. हालांकि, अभी प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं हुई है. दावेदारों की भी लंबी फेहरिस्त है. ऐसे में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर कई दावेदार निर्दलीय भी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं.
सुपौल जिले की पांच सीटों में फिलहाल तीन सीटें सुपौल, त्रिवेणीगंज एवं निर्मली पर जदयू का कब्जा है, जबकि पिपरा विधानसभा सीट पर राजद एवं छातापुर विधानसभा में भाजपा के विधायक काबिज हैं. राजनीति के दिग्गजों की मानें तो इस चुनाव में जिले की पांचों सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा. एनडीए के दोनों प्रमुख दल जदयू व भाजपा के साथ आ जाने के बाद प्रत्याशियों व दावेदारों की संख्या भी बढ़ गयी है. वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में त्रिवेणीगंज की जदयू प्रत्याशी सर्वाधिक 52 हजार 400 मतों से विजयी रही थी. उन्होंने लोजपा के अनंत कुमार भारती को पराजित किया था,
सुपौल सीट पर सूबे के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने सातवीं बार विजयी दर्ज की थी. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी किशोर कुमार को 37 हजार 397 मतों से पराजित किया था. निर्मली विधानसभा क्षेत्र में तब जदयू के अनिरुद्ध प्रसाद यादव विजयी रहे थे. उन्होंने भाजपा के राम कुमार राय को 20 हजार 958 मतों से पराजित किया था. पिपरा विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के यदुवंश कुमार यादव ने भाजपा के विश्वमोहन कुमार को 36 हजार 369 मतों से हरा कर जीत दर्ज की थी, जबकि छातापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी नीरज कुमार सिंह ने कांटे की टक्कर में राजद के जहूर आलम को नौ हजार 292 मतों से हराया था.
चारों सीटों पर घमसान के आसार मधेपुरा जिले की चार विधानसभा सीट में से तीन पर जदयू व एक पर राजद का कब्जा है. इस बार नजारा बदला-बदला है. गठबंधन के सहयोग बदल गये हैं तो पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का गृह क्षेत्र होने के कारण यहां की सभी सीटों पर उनका भी प्रभाव दिखता है.इस बार के चुनाव में यह तय है कि सभी सीटों पर प्रत्याशियों में जोरदार मुकाबला होगा. कभी लालू व शरद की कर्मभूमि रहे मधेपुरा की चारों विस सीटों पर दावेदारों की भी लंबी फेहरिस्त है. मधेपुरा सीट पर वर्तमान में प्रो चंद्रशेखर राजद के विधायक हैं. वर्ष 2015 में जब 60 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था, तब 90974 वोट लाकर 53332 मत लाने वाले भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार विमल को इन्होंने हराया था. परिसीमन के बाद 2010 में बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र बना. जदयू प्रत्याशी के तौर पर डॉ रेनू कुमारी कुशवाहा ने धमाकेदार जीत हासिल की थी. उन्होंने राजद प्रत्याशी इ प्रभाष कुमार को पराजित किया था.
हालांकि, 2015 में प्रत्याशी बदलकर जदयू ने निरंजन मेहता को टिकट दिया और उन्होंने भी 78361 वोट लाकर भाजपा प्रत्याशी 49 हजार 108 वोट लाने वाले रवींद्र चरण यादव को पराजित किया. सिंहेश्वर सीट भी परिसीमरण के बाद अजा-अजजा के लिए सुरक्षित हो गयी. यहां से जीतनेवाले रमेश ऋषिदेव कल्याण मंत्री हैं. वर्ष 2015 में महागठबंधन प्रत्याशी के तौर पर हिंदुस्तान आवाम मोर्चा की मंजू देवी को उन्होंने पराजित किया था. आलमनगर सीट से वर्ष 1995 से लगातार चुनाव जीत रहे मंत्री नरेंद्र नारायण यादव इस बार जीत का सिक्सर लगा पायेंगे या नहीं, यह तय नहीं है.
सहरसा जिले की चार विधानसभा सीटों में से बीते चुनाव में जदयू को दो व राजद के हिस्से में दो सीटें आयी थी. उस चुनाव में भाजपा-जदयू के बीच गठबंधन नहीं था. हालांकि, बाद में सिमरी बख्तियारपुर के विधायक दिनेशचंद्र यादव के लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद यहां उपचुनाव हुआ. जिसमें राजद के जफर आलम ने जदयू के डॉ अरुण कुमार यादव को हरा दिया था. इधर, 2015 के विधानसभा चुनाव में लगातार दो बार काबिज सहरसा की सीट को भाजपा से छीन कर राजद पहले स्थान पर रही थी, लेकिन आसन्न विधानसभा चुनाव में स्थिति बदली हुई है.
इन सबके बीच पप्पू यादव की जाप पार्टी भी चुनाव को तीसरा कोण बनाने में अपनी रणनीति पर काम कर रहा है. सोनवर्षाराज विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में जदयू के रत्नेश सादा ने लोजपा के सरिता पासवान को पराजित किया. लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर जदयू पहले नंबर पर रहा था. महिषी सीट वर्तमान में डॉ अब्दुल गफूर के निधन के बाद रिक्त है. वर्ष 2105 में गफूर ने जदयू के राजकुमार साह को पराजित किया था. वर्ष 2019 में उनका निधन हो गया. इसके बाद उपचनुाव नहीं हुआ. इस बार इस सीट पर भी मुकाबला जबर्दस्त होनेवाला है. दोनों गठबंधन में दावेदारों की लंबी कतार है.
Published by : Thakur Shaktilochan Sandilya