Bihar Flood Update: बिहार में गंगा और घाघरा को छोड़कर अन्य सभी नदियों के जलस्तर में शनिवार को कमी के संकेत थे. साथ ही फिलहाल सभी नदियां खतरे के निशान से नीचे बह रही थीं. वाल्मीकि नगर बराज से गंडक नदी में शनिवार दोपहर दो बजे 73 हजार 400 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. हालांकि वहां जलस्तर में बढ़ोतरी के संकेत हैं. वहीं वीरपुर बराज से कोसी नदी में 86 हजार 925 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. वहां जलस्तर में कमी के संकेत हैं.
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गोपालगंज जिले के डुमरियाघाट पर गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 59 सेंमी नीचे था, इसमें रविवार को 18 सेंमी कमी की संभावना है. सुपौल जिले के बसुआ में कोसी नदी खतरे के निशान से करीब 99 सेंमी नीचे बह रही थी. इसमें 16 सेंमी कमी की संभावना है. खगड़िया जिले के बलतारा में कोसी नदी खतरे के निशान से 70 सेंमी नीचे बह रही थी, इसमें 25 सेंमी कमी की संभावना है.
भागलपुर में गंगानदी का जलस्तर जैसे-जैसे बढ़ रहा है. नदी किनारे स्थित गांवों व मोहल्लों पर तेज धारा का दबाव बढ़ता जा रहा है. शनिवार को गंगानदी के जलस्तर में 19 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई है. जलस्तर खतरे के निशान से 3.66 मीटर अभी भी दूर है. इस समय गंगा का जलस्तर प्रयागराज, वाराणसी, बक्सर, पटना, मोकामा, मुंगेर व सुल्तानगंज तक बढ़ने के क्रम में है. यही स्थिति रही तो भागलपुर जिले के कई निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस सकता है.
Also Read: Bihar Flood: बिहार में बाढ़ ने बढ़ाई लोगों की चिंता, जानें नेपाल में बारिश थमने के बाद कोसी-सीमांचल के हालात
शनिवार को बाढ़ की स्थिति की जानकारी के लिए सबौर प्रखंड के जियाउद्दीन चौका, बाबूपुर व रजंदीपुर के गंगातटों की पड़ताल की गयी. जहां जियाउद्दीन चौका पर गंगानदी महज 10 मीटर की दूरी पर बह रही है. वहीं बाबूपुर में नदी का स्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है. रजंदीपुर के गंगानदी के तट पर दो किलोमीटर के दायरे में तेज गति से कटाव हो रहा है. कटाव के कारण नदी किनारे लगी सब्जियों की फसल भी कटकर गंगा में बह रही है. इन गांवों के लोग बाढ़ की आशंका से डरे सहमे हुए हैं. 2022 में बाढ़ का विकराल रूप अगस्त के अंतिम सप्ताह में देखने को मिला था.
भागलपुर के सबौर अंतर्गत रजंदीपुर गांव के निवासी व पशुपालकों ने बताया कि बच्चों व मवेशियों की चिंता सता रही है. हर साल की तरह इस बार भी उनके परिवार के 10 सदस्यों को करीब एक माह तक विस्थापित होना पड़ेगा. खेत में बने बासा पर बैठे पशुपालक ने बताया कि यहां पर गला भर पानी भर जाता है. हर साल की तरह इस बार भी परिवार व मवेशियों के साथ सबौर हाइस्कूल में शरण लेंगे. घर के सामान को ऊंची जगह पर रख दिया है. मन में हर समय यही बात रहती है कि विस्थापन के दौरान परिवार व मवेशियों का नुकसान न हो जाये.
वहीं सरकार की ओर से अब तैयारी तेज कर दी गयी है. बाढ़ से खराब ग्रामीण सड़कों को पानी हटने पर करीब 48 घंटे में आवागमन लायक बनाया जायेगा. साथ ही ऐसी खराब सभी सड़कों को चिह्नित कर उनको स्थायी रूप से बेहतर बनाने की कार्ययोजना पर काम होगा. यह निर्देश शनिवार को विभागीय कामकाज की समीक्षा के दौरान ग्रामीण कार्य विभाग ने अपने सभी अभियंताओं और अधिकारियों को दिये हैं.
सूत्रों के अनुसार राज्य में हर साल बाढ़ का पानी कई इलाकों में फैल जाता है. इससे बड़ी संख्या में अन्य सड़कों सहित ग्रामीण सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और आवागमन प्रभावित होता है. ऐसे में ग्रामीण कार्य सहित पथ निर्माण विभाग भी अपनी-अपनी सड़कों पर जल्द- से- जल्द यातायात बहाल करने को लेकर अपने अभियंताओं और अधिकारियों को निर्देश देते हैं.
समीक्षा बैठक में राज्य में चल रहे ग्रामीण सड़कों के निर्माण और रखरखाव को बेहतर तरीके से करने का अभियंताओं को निर्देश दिया है. राज्य में फिलहाल पीएमजीएसवाइ के तहत करीब छह हजार किमी बनाने का काम हो रहा है. साथ ही करीब आठ हजार किमी लंबाई में पुरानी ग्रामीण सड़कों को मरम्मत कर उसे बेहतर बनाने की योजना पर काम हो रहा है.