तीन वरीय ऑडिटरों के नहीं मिलने से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर के ऑडिट का काम पिछले करीब छह माह से रुका हुआ है. जिसके कारण अभी तक यह स्पस्ट नहीं हो सका है कि सृजन की कितनी संपत्ति है और कितना लेनदेन किया गया है. इसका पता ऑडिट होने के बाद ही चलेगा.
सहयोग समितियां के निबंधक से तीन वरीय ऑडिटरों की मांग जिला सहकारिता विभाग ने की थी, लेकिन ऑडिटर नहीं मिले. कुल 15 वर्षों में सृजन कार्यालय में हुई लेन-देन का ऑडिट होना है. दिसंबर 2020 में पैक्सों व व्यापार मंडलों के ऑडिट में ऑडिटरों की व्यस्तता के कारण सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर के ऑडिट का काम बाधित हुआ था. तभी से यह काम बाधित है.
इसे निर्बाध रूप से करने के लिए जिला अंकेक्षण पदाधिकारी (डीएओ) ने बिहार सहयोग समितियां के रजिस्ट्रार को पत्र लिख कर तीन वरीय ऑडिटर की मांग की थी.सृजन के 2003 से 2013 तक अंकेक्षण करने का निर्णय लिया गया था. इस संस्था का अंकेक्षण पहले भी कराया गया था, लेकिन रिपोर्ट से असंतुष्ट रहने पर विभाग ने दोबारा अंकेक्षण कराने कहा था.इसके आधार पर अंकेक्षण शुरू किया गया.
जिला सहकारिता पदाधिकारी जैनुल आबदीन अंसारी ने बताया कि दो-तीन साल का अंकेक्षण हो पाया है. ऑडिटर के मिलते ही काम शुरू करा दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि पांच सितंबर को बैठक बुलायी गयी है. बैठक में सृजन के ऑडिट पर भी बात होगी. संयुक्त निबंधक से पत्राचार कर ऑडिट से संबंधित अनुरोध किया जायेगा. ऑडिट होने के बाद यह पता चल सकेगा कि सृजन संस्था के पास कितनी संपत्ति है और इस संस्था के माध्यम से कितने का लेनदेन हुआ है.
सूबे के बहुचर्चित सृजन घोटाले की जांच सीबीआइ और इडी कर रही है. अफसरों व कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संबंधित विभाग कर रहा है. वहीं सहकारिता विभाग को सृजन संस्था का ऑडिट करना है. लेकिन ऑडिट का काम लटकता ही रहा है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan