भागलपुर. पांच दिन से तिलकामांझी से कचहरी चौक तक वन वे ट्रैफिक प्लान लागू है. इसका असर यह है कि इस रास्ते पर शहर जाम मुक्त हो गया है. इससे सभी को सहूलियत है. पूर्व में ऑटो चालक संघ के साथ बैठक में एसडीओ ने यातायात को लेकर कई निर्णय लिये थे. इसमें मुख्य रूप से चौक-चौराहे पर डिवाइडर की व्यवस्था, बस स्टैंड से बाहर गेट खोल कर यात्री को बैठाने पर रोक, बीच चौक पर ऑटो चालक सवारी को बैठने पर रोक, परमिट के अनुसार ही ऑटो चालकों को वाहन चलाने का आदेश, लोहिया सेतु पर वाहन रोकने पर कानूनी कार्रवाई, पटेल बाबू रोड में ऑटो पर रोक का निर्णय 2015 में लिया गया था. वाहनों की कोडिंग करने का आदेश दिया गया था जो अब तक नहीं हो सका.
भागलपुर वन वे ट्रैफिक व्यवस्था के विरोध करने पर एक युवक की जमकर पुलिस ने क्लास लगायी. शनिवार को दिन भर बाइक सवार यातायात पुलिस से बकझक करते रहे. पुलिस ने भी ऐसे लोगों को सीधा रास्ता दिखाते हुए वापस भेज दिया. वहीं बड़े वाहन चालक आसानी से नियम का पालन करते हुए आगे निकलते रहे.
कचहरी चौक पर बाइक सवार अपने पैरवी की जोर-अजमाइस करते दिखे. शनिवार दोपहर एक बाइक सवार वन वे नियम को दरकिनार करते हुए कचहरी से तिलकामांझी की और जाने का प्रयास करने लगे. ऐसा करते देख बाइक सवार गुस्से में आ गया. यातायात पुलिस जवानों से कहा हम एसपी के रिश्तेदार हैं एक मिनट में सीधा कर देंगे हम को जाने दो. यह सुनने के बाद जब तक यातायात पुलिस ने इस बाइक सवार को फटकार लगाना शुरू किया. इसके बाद कुछ लोग भी सामने आये, इन लोगों ने कहा वन वे हम सभी के लिए है, इसका पालन करे. अपनी पैरवी का झूठा दम किसी और को दिखायें.
घूरनपीर बाबा से कचहरी चौक तक वाहन चालक नहीं जाये, इसके लिए पुलिस ने बैरियर लगा दिया. आधे सड़क पर बैरियर लगाया गया था और आधे पर यातायात पुलिस प्रभारी जवानों के साथ तैनात थे. इसके बाद भी खास कर बाइक सवार पुलिस का चकमा देकर कचहरी चौक की तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे. इसके बाद पुलिस ने ऐसे लोगों को रोका और जम कर फटकार लगायी.
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घूरनपीर बाबा व कचहरी चौक पर पुलिस ने बाइक सवार ऐसे चालक जो हेलमेट के बिना चल रहे थे, उन्हे रोक कर जुर्माना वसूला. करीब एक दर्जन से ज्यादा बाइक सवार से तय शुल्क वसूला गया. इस दौरान बाइक सवार सबसे पहले अपने परिचित को कॉल कर रहे थे. जब बात नहीं बनी, तो इन लोगों ने थक कर जुर्माना दिया.
साल 2017 में शहर में 20 जगहों पर ऑटो स्टैंड बनाना था लेकिन इस पर भी पहल नहीं हो पाया. तत्कालीन आयुक्त ने स्टैंड बनाने का आदेश यातायात को लेकर हुई बैठक के बाद दिया था. यह स्टैंड शहर के मुख्य जगहों से थोड़ा हट कर बनाया जाता जिससे सवारी को किसी तरह की परेशानी नहीं होती. इस निर्णय के बाद ऑटो चालकों ने कहा था कि जिला प्रशासन हमें जमीन दे, स्टैंड खुद के चंदे से बना लेंगे. यह योजना भी जमीन पर अब तक नहीं उतर पाया. जाम को लेकर जिला प्रशासन ने कई बैठक किया. कई अहम निर्णय भी लिया गया लेकिन शत प्रतिशत इसका पालन सड़क पर होता नहीं दिखा. इससे शहर में जाम लाइलाज बीमारी हो गयी.