प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने विशेष न्यायालय से सृजन घोटाले की आरोपी और भागलपुर की तत्कालीन एडीएम जयश्री ठाकुर द्वारा आय से अधिक अर्जित संपत्ति को अटैच करने की अनुमति मांगी है. इनमें उनके पति राजेश कुमार चौधरी, पुत्र ऋषिकेश चौधरी और पुत्री राजश्री चौधरी और कौशल किशोर सिन्हा की संपत्ति भी शामिल हैं. यह संपत्ति लगभग 14 करोड़ रुपये आंकी गयी है. इसके लिए इडी ने पटना विशेष न्यायालय में 25 जुलाई को अर्जी दी है.
इडी आय से अधिक संपत्ति (जयश्री ठाकुर और अन्य के खिलाफ दर्ज डीएजे मामले) में आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) बिहार द्वारा दायर एफआइआर में आरोप पत्र के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच कर रही है.
इडी की जांच में पता चला कि मुख्य आरोपी जयश्री ठाकुर सरकार के अधीन विभिन्न पदों पर कार्यरत थीं और अपने पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित की. इडी के अनुसार 12 जनवरी 1987 से 30 जून 2013 की अवधि में 13.98 करोड़ रुपये उनके नाम पर, उनके पति राजेश कुमार चौधरी, बेटे ऋषिकेश चौधरी और बेटी राजश्री चौधरी के नाम पर है. उन्होंने यह संपत्ति भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करते हुए एक लोक सेवक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करके व भ्रष्ट और अवैध तरीकों से अर्जित की है.
इससे पहले, इडी द्वारा 6.84 करोड़ संपत्तियों की कुर्की के लिए प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी किया गया था. इसके बाद की जांच में नयी संपत्तियों की पहचान हुई. इसमें आय से अर्जित 3.94 करोड़ थी. इडी के अनुसार 10.78 करोड़ की 21 अचल संपत्ति थी. विभिन्न बैंकों के 41 बैंक खातों में 5.05 करोड़ रुपये और मुख्य आरोपी और उसके परिवार के सदस्यों के नाम पर 20 लाख रुपये की 12 बीमा पॉलिसियां थीं.
बता दें कि हाल में ही पटना हाईकोर्ट ने सृजन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपित प्रणव कुमार घोष को बड़ा झटका दिया और जमानत याचिका को खारिज कर दिया. प्रणव घोष सृजन समिति में सचिव थे जिसे 2021 में गिरफ्तार किया गया था. अदालत के पास उचित आधार नहीं थे जिससे प्रणव घोष अपराधी नहीं माना जाए या जमानत के बाद ऐसे किसी कुकृत्य में वो शामिल ना रहे. ईडी ने जयश्री समेत कई अन्य आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए हैं.
बता दें कि वर्ष 2013 में निगरानी ने भी जयश्री के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति बनाने के मामले में केस दर्ज की थी. इसका ट्रायल भी पटना के विशेष अदालत में चल रहा है. जयश्री ठाकुर पहले बांका में तैनात थीं. इसके बाद उनका ट्रांसफर भागलपुर हो गया था. उनपर आरोप है कि भू-अर्जन विभाग के खाते से करोड़ों रूपए की राशि उन्होंने सृजन संस्था के खाते में ट्रांसफर करा दिया. ऐसा देखा गया था कि सृजन संस्था की मुखिया मनोरमा देवी से जयश्री के करीबी संबंध रहे. अपने बेटे और पिता के नाम पर भी इन्होंने लोन लिया और उसे नहीं लौटाया. जमीन के खेल में करोड़ों रूपए की संपत्ति बनाने का और सृजन से जुड़कर उस पैसे को सुरक्षित रखने का उपाय जयश्री ने निकाला, ऐसा आरोप है. अपनी काली कमाई को उन्होंने सृजन के खाते में सुरक्षित रखा और इसके बदले उस संस्था को गलत फायदे पहुंचाए.
वर्ष 2017 में जब सृजन का मामला सामने आया तो बांका थाना में दर्ज एफआइआर में जयश्री ठाकुर का भी नाम आया. इसी आधार पर सीबीआई ने भी मामला दर्ज किया तो जयश्री ठाकुर भी शिकंजे में आईं. सीबीआई के सामने आने से वो बचती रहीं लेकिन गिरफ्तारी के लिए गैरजमानती वारंट तब जारी कर दिया गया. ईडी ने 2021 में जयश्री ठाकुर की करोड़ों की संपत्ति जब्त की. 40 से अधिक बैंक खातों को सील कर दिया. कई जमीन, फ्लैट और इंशोरेंस पॉलिसी तब जब्त किये गए थे. पीएमएलए, 2002 एक्ट के तहत कार्रवाई की गयी थी. बताते चलें कि सृजन घोटाले में जब जयश्री ठाकुर का नाम आया तो इन्हें सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था और ठिकानों पर छापेमारी शुरू हो गयी थी.
बता दें कि सृजन घोटाला का जब 2017 में खुलासा हुआ तो इसमें कई सफेदपोशों की हकीकत सामने आयी. संगठित तरीके से सरकारी खजाने में सेंधमारी की गयी थी. इस घोटाले में कई बड़े अधिकारी नप गए. कई बैंककर्मी व बैंक के अधिकारी सलाखों के पीछे भेजे गए. वरीय आइएएस अधिकारी तक इस घोटाले में उलझ गए और जेल के अंदर भेजे गए. वहीं अभी भी इस मामले में छापेमारी जारी ही है. सृजन घोटाले के सबसे बड़े कर्ताधर्ता मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू प्रिया कुमारी अबतक फरार ही चल रहे हैं.