ललित किशोर मिश्र, भागलपुर : सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 25वां रैंक लाने वाली श्रुति राज लक्ष्मी जिले के शाहकुंड प्रखंड के अम्बा गांव की रहने वाली हैं. इस सफलता ने पूरे जिले का नाम रौशन किया है. वहीं नारी शक्ति की एक मिशाल भी पेश की है. प्रभात खबर से बातचीत में श्रुति ने इस सफलता के पीछे किये गये मेहनत के बारे में अपनी बातों को साझा किया.
श्रुति ने बताया कि वह हर दिन एकाग्र होकर आठ घंटे पढ़ती थी. सोशल मीडिया से बिल्कुल दूर रही, ताकि वह अच्छे तरीके से पढ़ाई कर सके. व्हाट्सएप नंबर भी बंद कर दिया था. इंटरनेट का यूज इसलिये किया कि इसकी तैयारी में करंट अफेयर्स और नोट्स मिल जाते थे.
श्रुति ने कहा कि वह सेल्फ स्टडी की. कोचिंग से सिर्फ टेस्ट सीरिज के लिए गयी. कभी कोचिंग में क्लास नहीं किया. वह कभी भी किताबों के पीछे नहीं भागी, स्लेक्ट किताबों को पढ़ा. बीएचयू आइआइटी से स्नातक करने के दौरान ही उन्होंने सिविल सर्विसेज की पहली परीक्षा दी. बीएचयू आइआइटी से 2019 में कंप्यूटर साइंस से पास की. बेंगलुरु में आठ माह श्रुति ने नौकरी की. प्रारंभिक शिक्षा रांची के लोयला स्कूल से हुई. 11वीं व 12वीं की पढ़ाई दिल्ली के आरकेपुरम डीपीएस से हुई.
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मेरा गांव मुझे बहुत अच्छा लगता है, लेकिन पढ़ाई के कारण बहुत दिनों से गांव नहीं गयी हूं. भागलपुर में छोटे दादा रहते हैं. फैमिली फंशन में आयी हूं. पापा आनंद कुमार एडवोकेट हैं. मां प्रीति रानी झारखंड के लोहरदगा में समाज कल्याण पदाधिकारी हैं. पिता कहते हैं कि आज हमारी मेहनत सार्थक सिद्ध हुई. मेरी बेटी ने परिवार का नाम रोशन किया है.
सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता की कहानी गढ़ने वाली श्रुति राज लक्ष्मी ने युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि अपने अंदर कभी निगेटीविटी नहीं लाये. पॉजिटिव सोच को रखते हुए आगे बढ़े. कभी भी किताबों के पीछे नहीं भागे. हमेशा सलेक्टेड बुक को ही पढ़े. अपने नोट खुद बनाये. टेस्ट सीरिज बहुत ही जरूरी है
POSTED BY: Thakur Shaktilochan