Economic Survey 2023: भारत सरकार की ओर से संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया गया. आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के मुताबिक वास्तविक स्तर पर मार्च, 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए देश की अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत की दर से वृद्धि होगी, जबकि बिहार की विकास दर 10.98 फीसदी है. यानी विकास दर के मामले में देश में बिहार से अधिक विकास दर केवल ,आंध्रप्रदेश और राजस्थान का ही है.आंध्र की विकास दर 11.43% और राजस्थान की 11.04% है.
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान विकास दर 8.7 प्रतिशत रही थी. विकास दर में तेजी का सीधा असर प्रति व्यक्ति आय पर भी पड़ा है. लोगों की सालाना आय में 2652 रुपये की वृद्धि का उल्लेख केंद्रीय आर्थिक सर्वेक्षण 2022- 23 में किया गया है. यह बढ़ोतरी वर्ष 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 9.4 % दर्ज की गयी है.
कोविड के कारण वर्ष 2019-20 की तुलना में 2020- 21 में नकारात्मक वृद्धि हुई थी. स्थिर मूल्य पर 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय 29794 रुपये थी, जो वर्ष 2020-21 में कम होकर 28127 रुपये हो गयी थी, जबकि 2021-22 में बढ़ कर 30799 रुपये हो गयी.
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बिहार में मंहगाई दर सात फीसदी के करीब रहा है. ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर अधिक रही. यह बढ़ोत्तरी मुख्य रूप से खाद्य पदार्थ, कपड़ा और फ्यूल की बढ़ोतरी के कारण हुई.
आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में राज्यवार शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा का ब्योरा दिया गया है. इस आंकड़े के अनुसार बिहार में शिशु मृत्यु दर में कमी को दर्ज किया गया है. बताया गया है कि वर्ष 2010 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 48 थी, जो वर्ष 2020 में घटकर 27 हो गयी. यह राष्ट्रीय औसत दर 28 से एक कम है.
मालूम हो कि प्रति हजार जन्म लेने वाले बच्चों में एक साल की आयु के अंदर होने वाली मौत को शिशु मृत्यु दर के तहत माना जाता है. बिहार शिशु मृत्यु दर में मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत आठ राज्यों से बेहतर है. इसी प्रकार बिहार में जन्म दर भी वर्ष 2010 में 28.1 से घटकर वर्ष 2020 में 25.5 हो गया है. अर्थात वर्ष 2020 में प्रति एक हजार की आबादी पर साल में बिहार में 25.5 बच्चों का जन्म हुआ है. यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर के 19.5 से तीन अधिक है.