बिहार में बेहतर आवागमन के लिए लगातार सड़कों और हाइवे का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इनके रखरखाव के लिए भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसी क्रम में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने बिहार में करीब 265 किलोमीटर लंबे राज्य राजमार्गों को बेहतर बनाने के लिए 29.5 करोड़ डॉलर के कर्ज के लिए एक समझौते पर गुरुवार को हस्ताक्षर किया है.
बिहार की सड़क परियोजनाओं को मिलेगी बेहतर कनेक्टिविटी
एशियाई विकास बैंक द्वारा मिलने वाले इस कर्ज से प्रदेश के राजमार्गों को जलवायु के अनुकूल के साथ ही आपदाओं को झेल पाने में सक्षम सड़कों का निर्माण किया जाएगा. इसके साथ ही इन सड़कों को सुरक्षा के बेहतर उपायों के साथ विकसित किया जाएगा. बेहतर कनेक्टिविटी के साथ बिहार की सड़क परियोजनाओं को जोड़ने वाले इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव वुमलुनमंग वुअलनाम और भारत में एडीबी के देश निदेशक ताकेओ कोनिशी शामील थे.
लोगों को आवागमन में होगी सुविधा
एडीबी के बयान के अनुसार यह परियोजना राज्य के सभी राजमार्गों को दो-लेन वाली बेहतर सड़क बनाने और सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए बिहार सरकार के कार्यक्रम को सपोर्ट करती है. एडीबी के अनुसार बिहार के कुछ सबसे गरीब ग्रामीण जिलों में इन बेहतर सड़कों के निर्माण की वजह से कनेक्टिविटी बढ़ेगी. साथ ही इससे लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य तथा शिक्षा सुविधाओं एवं बाजारों तक लोगों की पहुंच आसान हो सकेगी.
पांच बार में कुल 1.63 अरब डॉलर का कर्ज दिया एडीबी ने
अगर बिहार में हाइवे के विकास के लिए मिले कर्ज की बात करें तो इस बार बिहार के लिए केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक के बीच 295 मिलियन डॉलर का समझौता हुआ है. वहीं, एडीबी ने साल 2008 से बिहार को करीब 1,696 किलोमीटर लंबे राज्य राजमार्गों को बेहतर बनाने और गंगा पर एक नए पुल के निर्माण के लिए पांच बार में कुल 1.63 अरब डॉलर का कर्ज दिया है.
बिहार रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट में अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना
जानकारी के अनुसार बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BSRDCL) राज्य सड़क एजेंसी को मजबूत करने के साथ ही रोड संपदा प्रबंधन प्रणाली को भी मजबूत करने का काम कर रही है. जिसमें जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम सूचना शामिल है. इसके साथ ही बिहार रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट में अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना करना है जिससे क्लाइमेट चेंज के प्रभावों को कम करने के लिए उपयोगी और टिकाऊ सामग्री की जांच की जा सके. साथ ही जलवायु अनुकूलन एवं भीड़ के प्रबंधन पर अध्ययनों का आयोजन भी हो सके और सड़क सुरक्षा उपायों में लैंगिक समावेशीता के लिए दिशा-निर्देश बनाया जा सके.
महिलाओं के सहभागिता को भी दिया जाएगा बढ़ावा
वहीं, इस परियोजना में महिलाओं के सहभागिता को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इस के लिए महिला कामगारों को निर्माण कार्यों में रोजगार दिया जाएगा, साथ ही सड़क सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, शोषण और उत्पीड़न के बारे में प्रशिक्षण देकर महिलाओं को जागरूकता भी प्रदान की जाएगी.
क्या है एशियाई विकास बैंक की भूमिका
एशियाई विकास बैंक एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों को बढ़ने और अधिक समृद्ध बनने में मदद करने के लिए बनाया गया था. इसका मुख्य लक्ष्य इसके सदस्य देशों को पैसा कमाने और संसाधन साझा करने के लिए मिलकर काम करने में मदद करना है. इस तरह, वे पर्याप्त धन न होने की चिंता किए बिना नई परियोजनाएं शुरू कर सकते हैं.
एशियाई विकास बैंक का उद्देश्य
बैंक का उद्देश्य सदस्य देशों को गरीबी से लड़ने में मदद करना है. इसलिए, बैंक से उन्हें गरीबी कम करने और अपने देश को विकसित करने और बेहतर बनाने में मदद मिलती है. इसके साथ ही बैंक का उद्देश्य देशों को आर्थिक विकास की ओर बढ़ने में मदद करना है. मानव विकास का समर्थन करना भी बैंक का उद्देश्य है. इसके अलावा बैंक मानव विकास, पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा में भी समर्थन करता है. महिलाओं को सशक्त बनाने और समाज में उनकी स्थिति में सुधार लाने की दिशा में भी बैंक काम करता है.
एशियाई विकास बैंक के सदस्य
एशियाई विकास बैंक की स्थापना 31 सदस्यों के साथ हुई थी, अब एडीबी के पास अब 68 सदस्य हैं. इनमें से 49 एशिया और पैसिफिक से हैं और 19 सदस्य बाहरी हैं.