बिहार के देवघर कहे जाने वाले बाबा गरीबनाथ के दरबार में भक्तों की जेब ढिली होने वाली है. गरीबनाथ मंदिर में सत्यनारायण पूजन सहित अन्य पूजा कराना अब महंगा हो गया है. गरीबनाथ मंदिर न्यास ने पिछले दिनों बैठक में पूजा की दर बढ़ाने का निर्णय लिया था, जिसे 12 जुलाई से लागू कर दिया गया है. पहले सत्यनारायण पूजन के लिए भक्तों को 131 रुपये की रशीद लेनी पड़ती थी. अब इसके लिए 200 रुपये देना पड़ रहा है. इसी तरह मुंडन के लिए 151 की जगह 200 रुपये, दो पहिया वाहन के पूजन के लिए 151 की जगह 200 रुपये, चार पहिया वाहन के पूजन के लिए 300 की जगह 400 रुपये और बड़ी गाड़ी के लिए 400 की जगह 500 रुपये पूजन शुल्क लिया जा रहा है.
न्यास के सदस्य गोपाल फलक ने कहा कि न्यास की बैठक में इस पर सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया है. अब नयी दर पर पूजा की राशि ली जा रही है. वहीं मंदिर के पुजारी अभिषेक पाठक ने कहा कि गरीबनाथ मंदिर में ग्रामीण क्षेत्रों से कई ऐसे लोग भी पूजा करने आते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है. पूजा की दर बढ़ने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ेगा. इससे भक्तों में आक्रोश है. न्यास समिति को इस पर फिर से विचार करना चाहिए.
पिछले दिनों न्यास की बैठक में पुजारियों और कर्मचारियों के वेतन में 40 से 50 फीसदी बढ़ोतरी का का निर्णय लिया गया था. वेतन में अधिक खर्च के समायोजन के लिये पूजा की दर बढ़ायी गयी. हालांकि इससे पूर्व की बैठक में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये एक रुपया में सत्यनारायण पूजन पर सहमति बनी थी, जिसे बाद की बैठक में समाप्त कर दिया गया.
रूद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय है. सावन में किसी भी दिन रूद्राभिषेक किया जा सकता है. इसका अर्थ शिवलिंग पर रूद्र के मंत्रों द्वारा अभिषेक करना है. भविष्य दर्शन केंद्र नारायणपुर सिद्ध पीठ के आचार्य गिरधर गोपाल चौबे ने कहा कि जीवन में कोई भी कष्ट हो या कोई मनोकामना हो, तो सच्चे मन से रूद्राभिषेक करना चाहिए. इससे अभीष्ट लाभ की प्राप्ति होगी. सावन के सोमवार को रूद्राभिषेक करें, तो जीवन में चमत्कारी बदलाव महसूस करेंगे. शिव का अभिषेक करने से सभी ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता है.
रूद्राभिषेक शिव को प्रसन्न करने का यह सबसे श्रेष्ठ तरीका है. जल से रूद्राभिषेक करने पर वृष्टि होती है. कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग और दुख से से छुटकारा मिलती है. दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन व वाहन की प्राप्ति होती है. गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी प्राप्ति, मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर धन वृद्धि, तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है. इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है. दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति, प्रमेह रोग की शांति सहित मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आचार्य ने कहा कि सावन में मलमास का भी अधिक महत्व माना गया है. इस दौरान शिव का अभिषेक करने से अधिक पुण्य मिलता है.
सावन की दूसरी सोमवारी पर रविवार की रात से कावंरिये गरीबनाथ मंदिर में बाबा का जलाभिषेक करेंगे. कांवरियों के जलार्पण के लिये मंदिर के मुख्य द्वार पर अरघा लगाया गया है. रविवार की सुबह से कांवरियों का जत्था बाबा नगरी में प्रवेश करेगा. शनिवार की दोपहर में बड़ी संख्या में कांवरियों ने गोरौल तक की यात्रा पूरी की. यहां लगे सेवा शिविरों में विश्राम किया. हालांकि कांवरियों का कई जत्था आगे बढ़ता रहा. शनिवार की रात से रामदयालु में शिव भक्त पहुंचने लगे थे. यहां लगे शिविरों और जिला प्रशासन की ओर से आरडीएस कॉलेज में बनाये गये टेंट सिटी में कांवरियों ने विश्राम किया. पहलेजा से रामदयालु मार्ग तक रात भर कांवरियों का आना जारी रहा. गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं.विनय पाठक ने कहा कि कांवरिये रविवार की रात होने का इंतजार नहीं करें. वे जिस समय बाबा की नगरी में पहुंचे, जलाभिषेक करें. सावन का हर दिन पुण्यकारी होता है. जल चढ़ाने के लिये सोमवार का इंतजार नहीं करे. कांवरिये पहले जल अर्पित करेंगे तो उन्हें लंबे समय तक पंक्ति में खड़ा होने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वे पूरे भक्ति भाव से बाबा का जलाभिषेक भी कर पायेंगे.