काली मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. सबसे अधिक भीड़ परबत्ती स्थित बुढ़िया काली मंदिर समेत हड़बड़िया काली मंदरोजा, धोबिया काली परबत्ती, कालीबाड़ी मानिक सरकार, जंगली काली उर्दू बाजार, बमकाली बूढ़ानाथ मंदिर, मशानी काली बूढ़ानाथ मंदिर, इशाकचक बुढ़िया काली स्थान, काली स्थान जरलाही, मशानी काली मोजाहिदपुर समेत 100 से अधिक काली मंदिरों में रही.
खासकर दोपहर बाद चार बजे से रात दस बजे तक शहर में मेले जैसा माहौल दिखा. लोग अपने परिवार के साथ मंदिरों में दर्शन के बाद खानपान का लुत्फ भी उठाया.
शहर के कोयलाघाट, बड़ी खंजरपुर, मायागंज, जवारीपुर, सुरखीकल समेत अन्य जगहों पर आकर्षक पंडाल सजाये गये थे.
नाथनगर इलाके के चंपानगर में स्थापित मां काली की 12 प्रतिमाओं का विसर्जन शांतिपूर्ण कर दिया गया. उक्त प्रतिमा बंगला पद्धति से पूजे जानेवाली थी. नाथनगर की चार काली प्रतिमाओं का विसर्जन मंगलवार की सुबह 4:00 बजे से शुरू हुई, जो सुबह 5:00 बजे तक संपन्न हो गयी.
कई जगह लोगों ने भक्तिगीत के कार्यक्रमों का आनंद उठाया. जवारीपुर काली पूजा समिति के सदस्य दीपक कुमार ने बताया कि मुहल्लों के सभी लोगों ने मंदिर में आकर फल फूल व चुनरी भी चढ़ायी. काली पूजा के मेले को लेकर बच्चों में खासा उत्साह था.
सूतक के कारण मंगलवार को पूरे दिन मंदिरों के पट बंद ही रहे. वहीं सूतक काल के बाद लोग घरों से बाहर निकले और प्रतिमा का दर्शन किया.
भागलपुर में 100 से अधिक काली प्रतिमाएं इस बार बनीं हैं. बुधवार रात से प्रतिमाओं का विसर्जन शुरू हो जाएगा. आज शोभायात्रा निकाली जाएगी.