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जातीय सर्वे रिपोर्ट: प्रवासी बिहारियों के आंकड़ों ने चौंकाया, जानिए किस जाति की कितनी आबादी रहती है बाहर..

बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट को विधानमंडल में सरकार ने पेश किया. जिसके बाद कई जानकारियां बाहर आयीं. इस विस्तृत रिपोर्ट में यह भी जानकारी मिली कि प्रवासी बिहारियों का सही आंकड़ा क्या है. वर्गवार इसकी जानकारी मिली कि कितने लोग बाहर रहते हैं. जानिए पूरा डाटा..

Bihar Caste Survey Report: बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट को सरकार ने मंगलवार को विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सदन में पेश किया. जातीय सर्वे के विस्तृत आंकड़े जब सार्वजनिक हुए तो कई जानकारियां इससे बाहर निकलीं. बिहार के कितने लोग बाहरी राज्यों या देशों में हैं इसका भी खुलासा हुआ. हर कैटेगरी की जानकारी सामने आयी. जाति और आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जो चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी वह ये है कि बिहार की महज 1.22 फीसदी आबादी ही बाहर रहती है. जबकि 94 फीसदी से अधिक लोग बिहार में रहते हैं.

बिहार के कितने लोग बाहर रहते हैं?

जाति और आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की महज 1.22 फीसदी आबादी ही बाहर रहती है. सरकार की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार 94.28 फीसदी लोग बिहार में रह रहे हैं. इन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं है. बिहार में आबादी की शैक्षणिक स्थिति की जो रिपोर्ट आयी है, उसके अनुसार प्रवासी बिहारियों को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं. 0.17 प्रतिशत लोग विदेशों में नौकरी कररहे हैं. साढ़े तीन प्रतिशत लोग दूसरे राज्य में नौकरी या राेजगार करने गये हैं. अन्य राज्यों में 0.42 प्रतिशत लोग शिक्षा के लिए प्रवास कर रहे हैं. दूसरे देशों में 0.02 प्रतिशत आबादी शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में प्रवास कर रही है. इनकी संख्या 23 हजार 738 है. संख्या के हिसाब से राज्य के 15 लाख 89 हजार से अधिक लोग दूसरे राज्यों में नौकरी या रोजगार कर रहे हैं.

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सामान्य वर्ग के कितने लोग हैं अपने गृह स्थान से बाहर?

रिपोर्ट के अनुसार सामान्य जाति के दो प्रतिशत लोग यानी करीब चार लाख से अधिक आबादी बिहार में ही अपने गृह स्थान से बाहर नौकरी या रोजगार कर रहे हैं. संख्या में देखें तो पिछड़े वर्ग की करीब इससे थोड़ी अधिक आबादी यानी चार लाख नौ हजार लोग राज्य मेंअपने गृह स्थान से बाहर नौकरी या रोजगार कर रहे हैं. प्रतिशत में यह 1.15 है. अत्यंत पिछड़ा वर्ग के पांच लाख आठ हजार से अधिक लोग यानी प्रतिशत में 01.08 लोग बिहार में ही गृह स्थान से दूसरी जगहों पर रोजगार या नौकरी कर रहे हैं. दलित जातियों की दो लाख 42 हजार से अधिक आबादी और एसटी में 24 हजार से अधिक की आबादी बिहार में अपने गृह स्थान से बाहर दूसरी जगहों पर रोजगार के लिए बसी है.

नौकरी के लिए दूसरे राज्यों में सबसे अधिक किस वर्ग के लोग?

बिहार के बाहर दूसरे राज्यों में नौकरी या रोजगार करने वालों में सबसे आगे अति पिछड़े वर्ग के लोग हैं. रिपोर्ट के अनुसार 15 लाख 54 हजार 539 यानी अपनी जाति के कुल 03.30 प्रतिशत लोग दूसरे राज्यों मेंनौकरी या रोजगार कर रहे हैं. पिछड़ी जाति के 11 लाख 71 हजार 301 लोग बिहार के बाहर दूसरे राज्यों में नौकरी या रोजगार कर रहे हैं. प्रतिशत में देखा जाए, तो इनकी संख्या सामान्य से कम है. सामान्य कोटि के 05.68 फीसदी यानी 11 लाख 43 हजार 755 लोग दूसरे राज्यों में नौकरी या रोजगार कर रहे हैं. दलितों में छह लाख 41 हजार 756 लोग यानी कुल आबादी का ढाई प्रतिशत लोग दूसरे राज्यों में नौकरी या रोजगार कर रहे हैं. वहीं एसटी में ऐसे लोगों की संख्या 64 हजार से अधिक है.

सबसे अधिक किस जाति के लोग दूसरी जगहों पर?

शिक्षा के लिए सबसे अधिक अत्यंत पिछडी जाति के लोग अपने गृह स्थान से इतर बिहार में ही दूसरे राज्यों में बसे हैं. इनकी संख्या एक लाख 51 हजार 788 है. प्रतिशत में ये 0.32 है. इनसे थोड़े कम पिछड़े वर्ग के एक लाख 45 हजार 204 लोग दूसरी जगहों पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. प्रतिशत में यह 0.41 है. वहीं सामान्य कोटि के एक लाख 45 हजार 730 लोग यानी 0.72 प्रतिशत लोग बिहार में अपने मूल जगह से इतर शिक्षा के लिए निवास कर रहे हैं.

बाहर नौकरी करने में कुर्मी ज्यादा..

पिछड़ा वर्ग में जाति आधार पर देखा जाए तो सबसे अधिक कुर्मी जाति के लोग बिहार के बाहर या बिहार में ही दूसरी जगहों पर नौकरी कर रहे हैं. आंकडों के मुताबिक कुर्मी जाति के 04.69 प्रतिशत एक लाख 76 हजार 441 लोग बिहार के बाहर या नौकरी कर रहे हैं. संख्या के लिहाज से सबसे अधिक यादव जाति के लोग बिहार के बाहर या बिहार में ही अन्य स्थानों पर नौकरी या रोजगार कर रहे हैं. इनकी संख्या चार लाख 97 हजार 143 है. उनकी जाति के कुल आबादी का यह 02.67 प्रतिशत है. तीसरे स्थान पर कोइरी-कुशवाहा जाति के लोग हैं. एक लाख 84 हजार से अधिक यानी अपनी जाति के 03.35 प्रतिशत लोग दूसरे राज्यों में नाैकरी या रोजगार कर रहे हैं. इस जाति के 62 हजार से अधिक लोग बिहार में दूसरी जगहों पर नौकरी या रोजगार कर रहे हैं. बिहार में ही अपने गृह स्थान के इतर बनिया जाति के 39098 लोग नौकरी या रोजगार कर रहे हैं. बिहार के बाहर शिक्षा ग्रहण करने वाली यादव जाति की संख्या 61686 है. 14667 लोग दूसरे देशों में नौकरी कर रहे. यादव जाति के 40672 लोग दूसरे राज्यों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और 2054 लोग विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं.

विदेशों में नौकरी के मामले में अति पिछड़ी जाति के लोग ज्यादा

अति पिछडी जाति के सबसे अधिक लोग दूसरे देशों में नाैकरी कर रहे हैं. उनकी संख्या 77 हजार 715 है. जबकि सामान्य कोटि के 76326, पिछड़ी जाति के 48780 और दलित जातियों के 11024 लोग विदेशों में नौकरी कर रहे हैं.

विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने वालों में सामान्य वर्ग के लोग अधिक

विदेशों में शिक्षा ग्रहण करने वालों में सबसे अधिक सामान्य कोटि के लोग हैं. इनकी संख्या 85 सौ है. 5865 लोग पिछड़ी जाति के, अति पिछड़ी जातियों के 6646 और दलित जातियों के 2367 तथा एसटी के 2674 लोग दूसरे देशों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

सामान्य जाति के दो फीसदी लोग हैं प्रवासी..

  • भूमिहार 02.38 %

  • ब्राह्मण 02.20 %

  • राजपूत 2.17 %

  • कायस्थ 03.03 %

  • शेख 01.34 %

  • पठान 01.47 %

  • सैयद 01.70 %

पिछड़ी जाति के प्रवासियों का % 01.15

  • यादव 01.01%

  • कोइरी 01.14 %

  • कुर्मी 01.83 %

  • बनिया 01.29%

अति पिछड़ी जाति के प्रवासी..

  • तेली 01.16 %

  • मल्लाह 0.09 %

  • कानू 01.14 %

  • धानुक 01.13 %

  • कहार 01.34 %

  • नाई 01.20 %

  • कुम्हार 01.14 %

  • मोमिन 01.20%

दलित जाति के प्रवासी..

  • दुसाध 0.27 %

  • चमार 02.27 %

  • मुसहर 0.12 %

  • पासी 01.34 %

  • धोबी 0.42%

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