पटना के विभिन्न छठ घाटों, अस्थायी तालाबों और घर के छतों पर पानी में खड़े होकर व्रतियों ने सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य के बाद आज मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ दिया और इस तरह से चैती छठ 2023 संपन्न हुआ. व्रतियों ने सुख -समृद्धि और पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की.
मंगलवार को अर्घ्य को लेकर पटना के गंगा घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही. गंगा घाट से लेकर शहर के विभिन्न तालाबों पर लोगों ने भगवान भास्कर को अर्घ दिया. शहर में केलवा जे फरेला घवद से…, ओह पर सुगा मेड़राय…, आदित लिहो मोर अरगिया.., दरस देखाव ए दीनानाथ, उगी है सुरुजदेव.., कांच ही बास के बहंगिया बहंगी लचकत जाये जैसे लोकप्रिय छठ लोक गीतों के बजने से पूरा माहौल छठमय हो गया.
गंगा घाटों तक जाने का सिलसिला सुबह 4 बजे के बाद से ही शुरू हो गया था. व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया और फिर अपने घरों को लौटते रहे. इस दौरान सभी छठ घाटों पर मेले जैसी स्थिति बन गयी थी. मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ के बाद पारण के साथ महापर्व पूरा हो गया.
महापर्व चैती छठ का मंगलवार को चौथा दिन था. यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है.
उगते सूर्य को अर्घदेने से आयु-आरोग्यता, यश, संपदा में वृद्धि होती है. यह पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि व मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए किया जाता है.
चैती छठ के चौथे दिन यानी मंगलवार को चैत्र शुक्ल सप्तमी को मृगशिरा नक्षत्र व सौभाग्य योग के साथ अतिशुभकारी द्विपुष्कर योग में उदीयमान सूर्यदेव को गंगाजल व दूघ से अर्घ देकर चार दिवसीय महापर्व संपन्न हो गया.
व्रतियों का विगत 36 घंटे से अधिक समय से चला आ रहा निर्जला उपवास भी पूर्ण हो गया. एक-दूसरे को मंगल टीका लगा प्रसाद ग्रहण करेंगे.
व्रती आज सौभाग्य योग में उदीयमान सूर्य को दूध व जल से अर्घदेकर व्रत का समापन कर पारण करेंगी. मंगलवार को प्रातःकालीन अर्घ का शुभ मुहूर्तप्रातः 05:55 बजे से 06:15 बजे तक था.
छठ के लिए इस बार भी लोग दूसरे प्रदेशों से लौटकर अपने घर आए थे. परिवार के साथ मिलकर इस महापर्व को मनाया.
चैती छठ 2023 के दौरान मौसम ने भी व्रतियों का साथ दिया और वो व्रत को अच्छे से संपन्न कर सकीं.