बिहार में कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है़ मजदूरी कर अपना पेट और परिवार पालने वाले मजदूर- कामगार की बिहार वापसी तेजी से हो रही है. लॉकडाउन होने पर परदेश में न फंस जाएं इस डर से सड़क- रेल के जरिये बिहार पहुंच रहे इन मजदूरों को जॉब कार्ड के लिए भटकना नहीं होगा. सरकार दो से तीन दिन में जॉब कार्ड बना कर देगी.
मजदूरों को ग्राम सेवक या मुखिया के पास जाकर मनरेगा में काम करने की इच्छा जतानी होगी. राज्य में रहने वाले या अभी लौटने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए काम कम न पड़े इसके लिए सरकारी और निजी योजनाओं में काम दिलाया जायेगा. ग्रामीण विकास विभाग अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराने में भी जुट गया है.
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने सोमवार को प्रभात खबर से बात करते हुए लौटने वाले मजदूरों को लेकर विभाग की तैयारी की जानकारी दी. मंत्री का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार लौटने वाले लोगों की संख्या कम है. फिर भी हम हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं. सभी को काम मिले इसके लिए पूरी तैयारी है.लौटने वाले पुरुषों को मनरेगा और महिलाओं मजदूरों को जीविका समूहों से जोड़ कर रोजगार की योजना बना ली गयी है.
सभी जिलों को कह दिया गया है कि राज्य के अंदर या बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति हो उसे 100 दिन काम देना है. पिछली बार दस हजार से अधिक महिलाओं को जीविका में मेट बनाया गया था. करीब ढाई लाख नये जाॅब कार्ड बनाये गये थे.
इस बार भी उनको बड़ी संख्या में यह जिम्मेदारी देंगे. सभी योजनाओं में जोड़ा जायेगा. किसानों के पशु शेड , मुर्गी व बकरी के लिये शेड बनाने के अलावा खेल मैदान आदि विभिन्न योजनाओं में ग्राम पंचायत के अंदर ही काम दिया जायेगा.
posted By: Utpal Kant