Bihar Crime: रूपेश सिंह (Rupesh singh Murder cae) हाईप्रोफाइल मर्डर केस से जुड़े एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish kumar) ने मकर संक्रांति के दिन ’15 साल बनाम 15 साल’ का हवाला दे दिया. कहा कि 2005 से पहले क्या स्थिति थी? अगले दिन बिहार पुलिस (Bihar Police) के मुखिया यानी डीजीपी एसके सिंघल (DGP SK Singhal) ने एक साल का जिक्र कर कहा कि अपराध कम हुए हैं. इन दोनों वाकयो पर जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने चुटकी ली.
बिहार पुलिस और एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों को लिखते हुए ट्वीट किया कि ठोंको ताली, बजाओ गाल. बिहार में राजद सरकार के आखिरी साल 2004 में अपराध के कुल 1,15,216 मामले दर्ज हुए थे, जबकि नीतीश सरकार में 15 साल बाद, साल 2019 में कुल अपराध के आंकड़े बढ़कर 2,69,096 हो गए, यानी दोगुने से भी ज्यादा. अपराध दुगुना फिर भी “सुशासन” राज?
बता दें कि रूपेश सिंह हाईप्रोफाइल मर्डर केस में पुलिस के हाथ अब तक खाली है तो वहीं दूसरे जिलों में अपराधी लगातार वारदात को अंजाम दे रहे हैं. विपक्ष भी नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर है.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार से लेकर बिहार पुलिस के मुखिया तक हर कोई यही दावा कर रहा है कि बिहार में अपराध कम हुआ है. चुना प्रचार के दौरान जनता को जंगलराज के बार में बताया जाता था. हाल ही में सीएम ने एक बार फिर दोहराया कि अपराध के मामले में बिहार का देश में 23वां स्थान है. लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहते हैं.
एनसीआरबी के आकंड़ों के मुताबिक, देश भर में 2019 में जितने भी अपराध हुए उसमें बिहार में 5.2 फीसदी अपराध हुए. एनसीआरबी के ही आंकड़ों को आधार बनाकर लालू यादव ने नीतीश सरकार के 15 साल पर सवाल दागा है.
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Posted By: Utpal kant