बिहार में संभावित बाढ़ को लेकर निगरानी बढ़ा दी गयी है. आपदा प्रबंधन विभाग को विभिन्न जिलों से मिली रिपोर्ट के बाद सभी जिलों को दिशा – निर्देश भेजा गया है कि बाढ़ से बचाव के लिए सभी जिलाधिकारी सतर्क रहें. विभाग के मुताबिक 28 जिलों बाढ़ से हर साल थोड़ा-बहुत प्रभावित होता है, जहां बाढ़-राहत अभियान चलाया जाता है.हाल के दिनों में कई नदियों के जल स्तर में बढ़ोतरी हुई है. जिसके बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों को पूर्व के वर्षों में बाढ़ प्रभावित इलाकों में धीरे-धीरे तैनात करना शुरू कर दिया है,ताकि बाढ़ के दौरान राहत कार्य में सभी लोगों तक आराम से प्रशासनिक अधिकारियों को भेजा जा सके.
विभाग के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि बाढ़ अगस्त, सितंबर में सबसे अधिक जिलों को प्रभावित करती है. इस कारण से सभी बांधों की निगरानी बढ़ायी गयी है. यहां के स्थानीय लोगों को भी जोड़ा जायेगा, ताकि पानी के स्तर की बढ़ने की सूचना हर स्तर से जिला प्रशासन तक तुरंत पहुंचे और कहीं भी बाढ़ से लोग परेशान नहीं हो.
बाढ़ प्रभावित इलाकों में कंट्रोल रूम के माध्यम से अधिकारियों तक सूचनाएं तुरंत पहुंचेगी. यह कंट्रोल रूम सभी जिलों के डीएम की निगरानी में काम करेगा. साथ ही , शाम में हर दिन आपदा प्रबंधन विभाग को बाढ़ के संबंध में पूरी जानकारी भेजेगा. अभी भी कोरोना के मरीज मिल रहे हैं. इस कारण से राहत- बचाव में जुड़े कर्मियों को कोराना से बचाव को लेकर प्रशिक्षण भी दिया गया है.
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सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मुजफफरपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, शेखपुरा, बेगूसराय, लखीसराय, खगड़िया, सिवान, गोपालगंज, सारण, भागलपुर, बक्सर, भोजपुर, पटना, अररिया, किशनगंज, नालंदा, समस्तीपुर, मुंगेर .
गौरतलब है कि बिहार में मानसून की बारिश इन दिनों हो रही है. नेपाल व यूपी की बरसात की वजह से भी बिहार की नदियों में उफान है. पटना में भी अब गंगा घाटों के नजदीक आ गयी है. वहीं कोसी-सीमांचल क्षेत्र के कई इलाकों में नदी का पानी प्रवेश कर चुका है. गोपालगंज में गंडक नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है और अब सूबे के कई क्षेत्रों में पानी लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. किसानों के खेत जलमग्न हो गए हैं और उनके लिए अब पानी समस्या बन गयी है. वहीं नदियों का जलस्तर अब जब बढ़ और घट रहा है तो कटाव का खतरा भी लोगों के सामने आ गया है. कई जगहों पर घर- मकान और निज जमीन नदी में समा चुके हैं.