बिहार के नेत्रहीन बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों की बदहाल स्थिति पर पटना हाइकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि इससे यह साफ पता चलता है कि राज्य सरकार इस मामले में कितनी असंवेदनशील है. कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह और न्यायाधीश जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को दो सप्ताह में शपथपत्र दायर कर बताने को कहा है कि नेत्रहीन बच्चों के लिए बने स्कूलों की स्थिति दयनीय क्यों है. वहां जरूरत के अनुसार योग्य शिक्षकों की बहाली क्यों नही हो रही है. जिन छात्रों ने उस विद्यालय में अपना नामांकन कराया है, क्या वे अपनी पूरी पढ़ाई उस विद्यालय में पूरा कर पाते हैं. अगर नही तो उसका कारण क्या है. कोर्ट ने इस बात को भी काफी गंभीरता से लिया कि इन स्कूलों में नेत्रहीन छात्रों की बड़ी संख्या है, जो आठवीं के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. आखिर ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई. कोर्ट ने कहा कि ये बेहदचिंता का विषय है कि जहां आठवीं क्लास में लगभग 27 हजार छात्र पढ़ते हैं, वहीं नौवीं से 12वीं कक्षा में दो हजार छात्र ही पढ़ाई कर रहे हैं.
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खंडपीठ के निर्देश पर हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस स्कूल में शिक्षकों के स्वीकृत पद 11 हैं, लेकिन वहां फिलहाल 15 शिक्षक हैं. इनमें एक शिक्षक हाल में ही सेवानिवृत्त हुए हैं. इसमें भी सिर्फ दो शिक्षक ही नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित हैं. भागलपुर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में सिर्फ तीन ही शिक्षक हैं. इससे नेत्रहीन बच्चों की शिक्षा के बारे में राज्य सरकार की गंभीरता समझी जा सकती है.
समाज कल्याण विभाग द्वारा पटना में संचालित राजकीय नेत्रहीन उच्च विद्यालय, कदमकुआं की स्थापना 1922 में हुई थी. अपना शताब्दी वर्ष पूरा कर चुका यह स्कूल आज शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. यहां विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों के बदले सामान्य शिक्षक प्रतिनियुक्त हैं. यहां पहली से 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई और रहने-खाने की व्यवस्था है. अभी 67 बच्चे नामांकित हैं. विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों के 11 पद स्वीकृत हैं. इन सभी पदों पर नियुक्ति समाज कल्याण विभाग द्वारा होने का नियम हैं. इनमें छह पद स्नातक स्तरीय शिक्षक, दो पद इंटर स्तरीय शिक्षक, एक संगीत शिक्षक, एक उद्योग शिक्षक व एक प्रधानाध्यापक के पद हैं.