बिहार में हाथी और सुअर से होने वाले फसलों के नुकसान मुआवजा देने का प्रावधान है, लेकिन नीलगाय (घोड़परास) से होने वाले नुकसान का मुआवजा देने का प्रावधान नहीं. ऐसे में सरकार (Bihar govt) नीलगायों (Nilgai) को पकड़ेगी और उनकी नसबंदी कराएगी. गुरुवार को विधान परिषद के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्री नीरज कुमार सिंह (Neeraj kumar singh) ने इसकी जानकारी दी.
विधान परिषद में चल रही कार्यवाही के दौरान रजनीश कुमार के सवाल पर मंत्री ने कहा कि फसल क्षति की स्थिति में घोड़परासों और सूअरों को मारने के लिए निर्देश दिये जाते हैं. वन प्रमंडल पदाधिकारी को 100 और वन संरक्षक को 500 तक घोड़परास मारने की अनुमति देने का अधिकार है.
प्रभावित किसान द्वारा घोड़परासों को मारने के लिए आवेदन दिया जाता है. आवेदन के बाद विभाग द्वारा मारने की कार्रवाई की जाती है. रजनीश कुमार ने सुअर और हाथी से होने वाले फसल नुकसान के तर्ज पर घोड़परास से भी होने वाले नुकसान के लिए किसानों को मुआवजा दिये जाने को लेकर सवाल किया था.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री ने कहा कि बिहार में जिलों की मुख्य सड़क पर बड़े और छोटे वाहनों से होने वाली ध्वनि को रोकने के लिए विभाग की ओर से व्यापक कार्रवाई की जा रही है. विभाग की योजना है कि बाजार में बिकने वाले मल्टी टोन(प्रेसर हार्न) की बिक्री को बंद किया जाये.
इसके अलावा ऐसे हार्न को वाहनों में लगाने पर रोक रहे. मंत्री ने कहा कि केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली के तहत मल्टी टोन्ड-हार्न का उपयोग वर्जित है. नियमावली के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार सजग है.
Posted By: Utpal Kant