Bihar Law and Order: बिहार में विधि-व्यवस्था को लेकर विपक्ष लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish kumar) पर हमलावर है. बिहार में बेलगाम अपराध को लेकर शुक्रवार को राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री आमने सामने आ गए. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने जहां कानून व्यवस्था को लेकर राजग सरकार (NDA Govt.)को कटघरे में खड़ा किया है तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने पलटवार करते हुए राजद को ही अपराध के लिए जिम्मेदार बता दिया.
दरअसल, राबड़ी ने ट्वीट कर कहा कि मार-काट और दंगाई चरित्र वाली सत्ताधारी पार्टी की बदौलत बिहार में खून की नदियां बह रही है. अपराधियों के सहभागी मनोनीत और अनुकंपाई मुख्यमंत्री की ज़ुबान को जाड़ा मार गया है क्या? 16 वर्षों से अपराध छुपाने वाले चेहरे को जनता ने स्थान दिखा दिया लेकिन जमीर बेच कुर्सी से चिपके हैं.
मार-काट और दंगाई चरित्र वाली सत्ताधारी पार्टी की बदौलत बिहार में खून की नदियाँ बह रही है।
अपराधियों के सहभागी मनोनीत और अनुकंपाई मुख्यमंत्री की ज़ुबान को जाड़ा मार गया है क्या? 16 वर्षों से अपराध छुपाने वाले चेहरे को जनता ने स्थान दिखा दिया लेकिन ज़मीर बेच कुर्सी से चिपके है। pic.twitter.com/cnSsL2axld
— Rabri Devi (@RabriDeviRJD) December 18, 2020
इससे पहले राजद नेता और बिहार विधानसभा ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी अपने ट्वीट में कई आपराधिक मामलों का जिक्र कर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा शासित राज्य को जंगलराज बताना घोर पाप है. वहीं राबड़ी और तेजस्वी यादव के बयान के बाद ‘हम’ प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने पलटवार किया.
बिहार के अपराध को लेकर चिंता का दिखावा करने वाले .@RJDforIndia और उनके सहयोगी दलों के नेताओं से आग्रह है कि आप अपने कार्यकर्ताओं और जेल में बंद नेताओं को समझा दें,तो सूबे में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा अपराधिक घटनाएँ यूँ ही खत्म हो जाएँगीं।
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) December 18, 2020
जीतनराम मांझी ने ट्वीट किया, बिहार के अपराध को लेकर चिंता का दिखावा करने वाले राजद और उनके सहयोगी दलों के नेताओं से आग्रह है कि आप अपने कार्यकर्ताओं और जेल में बंद नेताओं को समझा दें,तो सूबे में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा अपराधिक घटनाएं यूं ही खत्म हो जाएंगीं. बता दें कि जीतनराम मांझी कोरोना संक्रमित हैं और अभी वो अस्पताल में भर्ती है.
Posted By: Utpal kant