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Bihar Nikay Chunav: बिहार निकाय चुनाव पर रोक के बाद अब आगे क्या होगा? इन दो ऑप्शन पर लेना होगा फैसला

Bihar Nikay Chunav 2022: बिहार में नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी गयी है. पटना हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दे दिये हैं कि सुप्रीम कोर्ट की आदेश के विपरीत जाकर बिहार में निकाय चुनाव के लिए सीट आरक्षित किये हैं. अब सामने दो आप्शन दिये गये जिससे चुनाव होंगे.

Bihar Nikay Chunav Update: बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 (Bihar Nagar Nikay Chunav 2022) पर आखिरकार ग्रहण लग गया. आरक्षण विवाद को लेकर पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. बिहार में लंबे समय से निकाय चुनाव के कार्यक्रम का इंतजार हो रहा था. पिछले दिनों निर्वाचन आयोग ने चुनाव का बिगुल बजाया और चुनाव के कार्यक्रम का एलान कर दिया. सरकार ने आरक्षण विवाद पर अपनी ओर से फैसले ले लिये थे. अब जब मतदान में चंद दिन शेष थे, हाइकोर्ट ने आरक्षण वाले फैसले पर आपत्ति जताते हुए अपना फैसला सुनाया है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ आरक्षित हुए सीट

बिहार में निकाय चुनाव की तैयारी जोर पकड़ चुकी थी. पहले चरण का मतदान 10 अक्टूबर को होना था. इससे पहले 4 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण विवाद पर अपना फैसला सुनाया और स्पष्ट किया कि बिहार में निकाय चुनाव के लिए सीटों के आरक्षण (Bihar nagar nikay chunav reservation) का जो फैसला लिया गया है वो गलत है. जिन सीटों को अतिपिछड़ा करने का फैसला लिया गया वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है, ऐसा हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा.

चुनाव के लिए सामने पहला ऑप्शन

पटना हाईकोर्ट की ओर से अब जब साफ किया गया है कि जिस आरक्षण नीति से बिहार में निकाय चुनाव कराया जाना था, वो गलत है. उसके बाद अब निर्वाचन आयोग व सरकार के पास दो ऑप्शन बचे हैं जिसपर उन्हें फैसला लेना है. भागलपुर के अधिवक्ता राजीव सिंह ने बताया कि पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इन दो ऑप्शनों को स्पष्ट किया है. पहले ऑप्शन के तहत अगर चुनाव को आगे नहीं टालना है तो जिन सीटों को अतिपिछड़ा की श्रेणी में डाला गया है उसे सामान्य घोषित करके चुनाव कराए जाएं. यानि आरक्षित/ अतिपिछड़ा किये गये सीटों पर जेनरल केटगरी के उम्मीदवार भी दावेदारी ठोक सकेंगे.

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चुनाव कराने के लिए सामने दूसरा ऑप्शन

निकाय चुनाव में जो दूसरा ऑप्शन सामने है वो यह कि सुप्रीम कोर्ट के दिये गाइडलाइन का पालन किया जाए और आरक्षण पर कोई भी निर्णय लेने से पहले प्रदेश में ट्रिपल लेयर टेस्ट कराया जाए. इस सर्वे के बाद राज्य के पिछड़े लोगों की सही गणना हो सकेगी और उनके सामाजिक व शैक्षणिक स्थिति का सही पता चल सकेगा. तमाम जानाकारी एकत्र करने के बाद आरक्षण पर फैसला लिया जाए और तब जाकर सीटों को आरक्षित करने की दिशा में बढ़ा जाए. अब देखना यह है कि बिहार में किस तरह से निगम चुनाव के आयोजन का फैसला लिया जाएगा.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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