Bihar News: देशभर में कई राज्यों के लोग भारी बारिश से परेशान है. इसका असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है. गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. इधर, बक्सर में हर घंटे गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है. पानी की रफ्तार दो सेंटीमाटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही है. इस कारण स्थानीय लोगों में दहशत है. लोगों को बाढ़ का डर सताने लगा है. पिछले दिनों हुई बारिश और सहायक नदियों का बढ़ने वाला जलस्तर का सीधा असर गंगा पर पड़ रहा है. गुरुवार दोपहर तक गंगा का जलस्तर 54 मीटर दर्ज किया गया है.
नेपाल में हो रही बारिश के कारण भी उत्तर बिहार की कई नदियों का जलस्तर लगातर ऊपर की ओर भाग रहा है. अगले 24 से 48 घंटे में गंडक और कोसी का जलस्तर खतरे के निशान से पार होने की संभावना जताई जा रही है. इधर, गंगा और बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर राज्य के सभी स्थानों पर लगातार तेजी से ऊपर की ओर जा रहा है. जल संसाधन विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार गंडक नदी गोपालगंज के डुमरियाघाट और वैशाली के लालगंड में खतरे के निशान के काफी करीब पहुंच चुकी है.
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गोपालगंज के डुमरियाघाट में गंगा के जलस्तर में 24 घंटे में 21 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई है. यह 24 घंटे पहले खतरे के निशान के मात्र 13 सेंटीमीटर नीचे था. नदी के जलस्तर में हर घंटे में एक सेंटीमीटर का इजाफा हो रहा है. वहीं, लालगंज में 48 घंटे में लालगंज में नदी खतरे के निशान को पार करने वाली है. खगड़िया के डुमरी में भी नदी लाल निशान के करीब बह रही है. वहीं, सुपौल के कोसी में जलस्तर में वृद्धि की संभावना है. कटिहार जिले में गंगा व बरंडी नदी के जलस्तर में उफान जारी है. कई इलाकों में कुछ दिनों तक स्थिर रहने के बाद एक बार फिर से गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है. जिससे गंगा के तटीय इलाके में बसे लोग सहमे हुए हैं. बाढ़ की संभावना को देखते हुए लोग अपने सामानों को समेटने लगे हैं.
इधर, सरकार की ओर से भी नदी के बढ़ते जलस्तर को लेकर कई तरह की तैयारी की जा रही है. दरअसल, अब एक ऐप के जरिए नदियों के बढ़ते जलस्तर की जानकारी पांच दिन पहले ही मिलेगी. इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है. विभाग इसके लिए उच्च तकनीक से जुड़ा ऐप विकसित करने में लगातार जुटा हुआ है. अत्याधुनिक ऐप को तैयार किया जा रहा है. जल्द ही इसके जरिए सूबे के नदियों के बढ़ते जलस्तर का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा. इसके खतरे का पहले ही भाप लिया जाएगा. इसके बाद इससे बचने की तैयारी की जाएगी. बताया जा रहा है कि अगले सत्र से इसका प्रयोग किया जा सकेगा.
बता दें कि इस तकनीक का उपयोग पहले शुरू किया गया है. लेकिन, इससे पहले केवल एक दिन पहले का ही अनुमान लगाया जा सकता है. वहीं, नई तकनीक के माध्यम से जलस्तर में होने वाली संभावित बढ़ोतरी, जलस्तर के घटने की प्रवृत्ति बढ़ने और घटने की सही जानकारी भी आसानी से मिल सकेगी. सबसे बढ़िया बात यह है कि नदी के जलस्तर के खतरे के निशान को पार करने की जानकारी पांच दिन पहले मिल जाएगी. इससे कार्य की योजना बनाने में काफी मदद मिलेगी. तटबंधों पर दवाब की भी जानकारी मिल जाएगी. इससे कटाव निरोधी कार्यों को पहले ही निर्धारित किया जा सकेगा. साथ ही तटबंध की सुरक्षा में तैनात कर्मियों को अपने काम में काफी आसानी होगी. लोगों को परेशानी और खतरे से बचाया जा सकेगा. बताया जा रहा है कि इस तकनीक के विकसित होने के बाद तबाही कम होगी.
इसके अलावा सरकार की ओर से संभावित बाढ़ को लेकर निगरानी बढ़ाई गयी है. आपदा प्रबंधन विभाग को विभिन्न जिलों से मिली रिपोर्ट के बाद सभी जिलों को दिशा – निर्देश भेजा गया है कि बाढ़ से बचाव के लिए सभी जिलाधिकारी सतर्क रहें. विभाग के मुताबिक 28 जिलों बाढ़ से हर साल थोड़ा-बहुत प्रभावित होता है, जहां बाढ़-राहत अभियान चलाया जाता है. हाल के दिनों में कई नदियों के जल स्तर में बढ़ोतरी हुई है. जिसके बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों को पूर्व के वर्षों में बाढ़ प्रभावित इलाकों में धीरे-धीरे तैनात करना शुरू कर दिया है, ताकि बाढ़ के दौरान राहत कार्य में सभी लोगों तक आराम से प्रशासनिक अधिकारियों को भेजा जा सके.