Bihar News: बिहार के भागलपुर जिले के नाम नया रिकोर्ड दर्ज हुआ है. स्मार्ट सिटी भागलपुर को स्ट्रीट फूड हब का दर्जा मिल गया है. भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण ने भागलपुर को स्ट्रीट फूड हब के रूप में प्रमाणित किया है. यह दर्जा साफ-सफाई, कचरे का निस्तारण, कुकिंग और नॉन कुकिंग एरिया का निर्धारण, स्ट्रीट लाइट, आसपास सफाई का स्तर समेत अन्य मानक पूर्ण करने के आधार पर मिला है. दरअसल, स्ट्रीट फूड को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नयी दिल्ली द्वारा भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के सहयोग से ”मॉडर्नाइजेशन ऑफ 100 फूड स्ट्रीट्स” नाम से एक योजना की शुरुआत की गयी है.
इस योजना के तहत सूबे के चार निगमों में भागलपुर को भी शामिल किया गया है. साथ ही यहां स्ट्रीट फूड हब विकसित करने का निर्णय लिया गया है. योजना को व्यापक ढंग से लागू कराने व मॉनीटरिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की गयी है, जिसमें नगर आयुक्त को सदस्य के रूप में नॉमिनेट किया गया है. योजना की मॉनीटरिंग के लिए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकारी ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की. इसमें भागलपुर के नगर आयुक्त ने भी जुड़कर भागीदारी सुनिश्चित की. इसमें स्ट्रीट फूड को बढ़ावा देने पर चर्चा की गयी. साथ ही इसके डेवलपमेंट की दिशा में कार्रवाई आगे बढ़ाने पर बात हुई.
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”मॉडर्नाइजेशन ऑफ 100 फूड स्ट्रीट्स” नाम की योजना को व्यापक ढंग से लागू कराने एवं मॉनीटरिंग के लिए समिति का गठन किया गया है. नगर आयुक्त को सदस्य के रूप में नॉमिनेट किया गया है. साथ ही सूबे के चार निगमों में भागलपुर को भी योजना में शामिल किया गया है. भुट्टा, जूस, मोमोज, इडली- सांभर, वड़ा- सांभर, डोसा, अनरसा, गोलगप्पा, पानीपुरी, आलू टिक्की, आलू चाट, टमाटर चाट, चना मसाला, तिलकुट, झालमुढ़ी, समोसा, छोला- कुलचा, छोला- भटूरा, मूंगफली, मैगी, आइस क्रीम, नूडल्स, चाऊमीन, बर्गर, बिरयानी, रेवड़ी, कचौड़ी, पूरी- सब्जी, जलेबी, कॉफी, चाय, लस्सी, रबड़ी, इमरती, चिप्स व अन्य खाने के आइटम को इसमें शामिल किया गया है. इसका मकसद है कि पर्यटकों को हाइजीनिक खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो सकें. स्ट्रीट फूड हब विकसित करने का मकसद स्ट्रीट फूड वेंडर, ढाबा संचालक, खाद्य सामग्री विक्रेता के कारोबार को बढ़ाने और स्थानीय लोग एवं पर्यटकों को हाइजीनिक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए है. स्मार्ट सिटी को स्ट्रीट फूड हब का दर्जा मिल जाने से कारोबार में इजाफा होगा. साथ ही पर्यटकों को साफ-सफाई से युक्त खाने की चीजें मिल सकेंगी.
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इधर मुजफ्फरपुर से खबर सामने आई है कि शहर में जल्द ही ‘स्मार्ट फूड स्ट्रीट्स’ का निर्माण किया जाएगा. यहां शहर के प्रसिद्ध कैफेटेरिया और रेस्टोरेंट में मिलनेवाले लजीज व्यंजनों जैसा स्वाद लोग अब सस्ते दरों पर चख सकेंगे. केंद्र सरकार ने देश के 100 शहरों में स्मार्ट फूड स्ट्रीट खोलने की मंजूरी दे दी है. इनमें सूबे के मुजफ्फरपुर के अलावा राजधानी पटना, गया और भागलपुर को भी शामिल किया गया है. केंद्र ने जिस पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्मार्ट फूड स्ट्रीट्स की शुरुआत करने का फैसला लिया है, उसका नाम ‘मॉडर्नाइजेशन ऑफ 100 फूड स्ट्रीट्स’ है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण संयुक्त रूप से इसका संचालन करेगा. केंद्र सरकार की तरफ से शुरू की गयी इस अनूठी पहल का मुख्य उद्देश्य खाद्य जनित बीमारियों को कम करने और नागरिकों के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए सुरक्षित और स्वस्थ प्रथाओं को बढ़ावा देना है. इससे अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के साथ स्थानीय रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे. शुक्रवार को इसको लेकर चयनित शहर के नगर निगम पदाधिकारियों के साथ केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिशा-निर्देश दिया गया.
प्रत्येक फूड स्ट्रीट के निर्माण व वित्तीय सहायता के लिए केंद्र सरकार एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देगी. इसमें 40 फीसदी राशि राज्य सरकार को देना होगा. फूड स्ट्रीट मानक ब्रांडिंग के लिए एफएसएसएआइ के दिशा निर्देशों का पालन करना होगा. एफएसएसएआइ ही इस परियोजना के कार्यान्वयन की देखरेख करेगा और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा. नगर निगम को यह सुनिश्चित करना होगा कि फूड स्ट्रीट स्वच्छता और सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाये रखे.