Bihar News: बिहार में मानसून की धीमी रफ्तार और कम बारिश का सीधा असर जलस्तर पर पड़ा है. भीषण गर्मी पड़ने के कारण जून के बाद एक महीने में 10 जिलों का जलस्तर नीचे चला गया है. इसमें उत्तर और दक्षिण बिहार दोनों के ही जिले शामिल है. पीएचईडी यानि लोक स्वास्थ्य अभयंत्रण विभाग की ओर से यह रिपोर्ट जारी की गई है. 28 जिलों के जलस्तर का रिकोर्ड तैयार हुआ है. पिछले एक महीने में सीतामढ़ी का जलस्तर दो फीट नीचे गया है.
जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार सीतामढ़ी में भू-स्तर 17.1 फीट पर पहुंच चुका है. साल 2022 के 30 जून को यहां का भी-स्तर 13.11 फीट था. इस तरह पिछले साल की तुलना में यहां का भू-जलस्तर चार फीट नीचे गिरा है. यहां कुछ जगहों पर 20 से 25 फीट गहरे चापाकाल ने पानी देना बंद कर दिया है. इस कारण विभाग ने चापाकाल की विशेष निगरानी रखने का निर्देश दिया है. जहानाबाद में 30, शेखपुरा में 38, गया में 36.9 फीट, औरंगाबाद में 34.5, अरवल में 24.4, लखीसराय में 27.1, समस्तीपुर में 22.2, सहरसा में 15.1 वैशाली में 15.1 भूमि का जलस्तर पहुंच चुका है.
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बताया जाता है कि बारिश की कमी के कारण जलस्तर नीचे गिरा है. भागलपुर जिले की बात करें तो यहां जलवायु में तेजी से हो रहे परिवर्तन के कारण जुलाई के महीने में 49 प्रतिशत कम बारिश हुई है. बारिश कम होने से धान की खेती कर रहे किसान हताश हैं. जिले में अबतक लक्ष्य के अनुरूप महज 11 प्रतिशत खेतों में धान की रोपनी पूरी हुई है. किसानों ने हजारों रुपये की पूंजी लगाकर धान की पौधशाला तैयार की. खेत में पानी के अभाव में धान के बिचड़े की रोपनी शुरू नहीं हो पायी है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर से मिली जानकारी के अनुसार भागलपुर जिले में जुलाई में 49 प्रतिशत कम बारिश हुई. हालांकि, अगस्त में सामान्य बारिश होने की उम्मीद लगायी जा रही है. जुलाई में भागलपुर जिले में औसतन 309 मिलीमीटर बारिश होती है. लेकिन, इस वर्ष जुलाई में महज 157.6 मिलीमीटर बारिश हुई. वहीं अगस्त में औसतन 263 मिलीमीटर बारिश होती है. अगस्त की पहली तारीख को झमाझम बारिश के साथ आगाज हुआ है. अगर तीन-चार दिन ठीक तरीके से बारिश हो जाये तो धान समेत अन्य खरीफ की फसल की तैयारी बेहतर हो जाये.
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भागलपुर में 52 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है. जिला कृषि कार्यालय की ओर से 2023 में जिले के 52 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. जिला कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार यादव ने बताया कि धान के बिचड़े पूरी तरह से तैयार हो गये हैं. अगले 15 अगस्त तक जिले में बारिश की संभावना है. फिलहाल, जिले में धान की रोपनी का 11 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हुआ है. बारिश होने से रोपनी का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ेगा. वहीं किसानों को खेत के पटवन के लिए डीजल अनुदान दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 2022 में जिले में धान की रोपनी का 45 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया गया था.
भागलपुर समेत पूरे पूर्व बिहार की बात करें तो बीते एक दशक में धीरे-धीरे मौसम चक्र एक माह आगे बढ़ा है. कभी दिसंबर में पड़ने वाली कड़ाके की ठंडक जनवरी में हो रही है. यही स्थिति माॅनसून की है. सावन महीने के सूखे के बाद भादो व आश्विन के महीने में बारिश हो रही है. मामले पर टीएमबीयू के पीजी भूगोल विभाग के पूर्व एचओडी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि इस बार अलनीनो के असर से माॅनसून काफी डिस्टर्ब हुआ है. वहीं मौसम चक्र में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण 15 अगस्त से लेकर 15 सितंबर तक अधिकांश बारिश हो रही है. इस साल भी बारिश होगी लेकिन लेट से होगी. वहीं, इसके बाद जलस्तर सही होने की आशंका है.
किसानों को भी बदलते मौसम चक्र को ध्यान में रखकर खेतीबारी के तरीके में बदलाव करने की जरूरत है. किसानों को 15 दिन विलंब से धान की खेती की तैयारी शुरू करने की जरूरत है. डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि पछिया हवा कमजोर पड़ने व माॅनसूनी पूर्वा हवाओं के दबाव के कारण देश के उत्तरी हिस्से में इस समय माॅनसून अधिक सक्रिय है.
वर्ष – जुलाई में बारिश- अगस्त में बारिश
2023 – 157.6 – 20 mm
2022 – 43.6 – 77.0 mm
2021 – 331.2 – 104.7 mm
2020 – 353.5 – 112.8 mm
2019 – 380.3 – 65.6 mm
जुलाई में औसत बारिश – 309 mm
अगस्त में औसत बारिश – 263 mm