Bihar News: बिहार में 60.5 फीसदी छात्राओं को किशोरी स्वास्थ्य योजना का लाभ मिलने जा रहा है. जबकि, कई छात्राएं इससे वंछित है और वह इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएगी. करीबन 40 फीसदी छात्राएं इसका लाभ नहीं उठा पाएगी. फिलहाल, इस योजना का लाभ देने की प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है. छात्राओं को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के माध्यम से उनके खाते में राशि भेजी जा रही है. यह राशि ऑनलाइन दी जाती है. बता दें कि स्कूलों में 75 फीसदी हाजिरी नहीं होने की वजह से 40 प्रतिशत छात्राओं को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा.
शिक्षा कार्यालय के साथ एनओसी दोनों ही स्तर पर योजना का लाभ दिया जाता है. मुख्यमंत्री किशोरी योजना का लाभ सराकरी स्कूल में नौंवी से 12वीं तक की पढ़ाई करने वाली छात्राओं को दिया जाता है. इस बार 28 लाख से अधिक छात्राओं को योजना का लाभ दिया जाना था. लेकिन मात्र 20 लाख छात्राएं ही इस योजना का लाभ उठा पाएंगी. इस योजना का लाभ सबसे कम लाभ 11वीं और 12वीं की छात्राओं को मिलने वाला है. क्योंकि इन दोनों कक्षाओं में 40 फीसदी छात्राओं को राशि मिलेगी. छात्राओं को सरकार की तरह से सालाना 300 रुपए की राशि दी जाती है.
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स्कूलों में 75 फीसदी उपस्थिति नहीं होने के कारण कई छात्राओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा. वही, अगर छात्राएं किसी और योजना के तहत सेनेटरी पैड के लिए राशि ले रही है, तो उन्हें भी इस योजना के तहत लाभ नहीं मिलेगा. बता दें कि किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत छात्राओं को मिलने वाली राशि से उन्हें सैनेटरी पैड खरीदना है. ऐसा छात्राओं की जरुरतों को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है. छात्राओं को सैनेटरी पैड खरीदने के साथ ही उसकी रसीद स्कूलों में जमा की जाती है. वहीं, अगर छात्राएं इस राशि से कोई और काम करती है तो उनपर कार्रवाई भी की जाएगी. ऐसे अभिभावकों की सूची तैयार की जाएगी. वहीं, छात्राएं अगले साल इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएगी.
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मालूम हो कि पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल हाइजीन रखना बहुत ही जरुरी है. इस दौरान हाइजीन नहीं होना औरतों की मौत का दुनिया में पांचवा सबसे बड़ा कारण है. वहीं, 2.3 करोड़ लड़कियां हर साल सैनिटरी पैड नहीं होने की वजह से स्कूल छोड़ देती हैं. वहीं, बिहार सरकार छात्राओं को किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत सेनेटरी पैड उपलब्ध कराती है. यह लड़कियों की जरुरत है. कई ऐसी छात्राएं थी जो माहवारी के कारण हर महीने कम से कम 3-4 दिन स्कूल नहीं जा पाती थी. इस कारण उनकी पढ़ाई का काफी नुकसान होता था. लेकिन, सरकार इस ओर ध्यान दे रही है. इसके अलावा स्कूलों में सहेली कक्ष का भी निर्माण किया गया है. सहेली कक्ष के निर्माण के बाद कई लड़कियों को कोई समस्या नहीं होती. पीरियड के दौरान जरूरत पड़ने पर वह वहां कुछ देर आराम कर फिर से कक्षा में बैठ पाती है. साथ ही, वहां लगे वेंडिंग मशीन में 1 रुपये के दो सिक्के डालकर सैनिटरी पैड भी ले सकती है.
बिहार के पूर्णिया और सीतामढ़ी के 20-20 सरकारी स्कूलों में सहेली कक्ष का निर्माण किया गया. इससे यहां की छात्राओं को लाभ मिल रहा है. इन स्कूलों में इसके लिए नोडल शिक्षक भी नियुक्त हुए है. बता दें कि सेनिटरी पैड कॉटन या बाकी अब्जॉर्बेंट मटेरियल से बने होते हैं. इसका निर्माण कॉटन या अब्जॉर्बेंट मटेरियल के जरिए किया जाता है. दूसरी ओर मेंस्ट्रुअल कप को दोबारा यूज किया जा सकता है. लेकिन पैड और टैम्पोन का सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है. सेनेटरी पैड डिस्पोजेबल होते हैं और इस्तेमाल के बाद इन्हें फेंकने की जरूरत होती है. पैड पीरियड ब्लड को अब्जॉर्ब तो करते हैं, लेकिन इन्हें दिन में 4 से 6 बार बदलने की जरूरत होती है. लेकिन, यह हाइजिन के लिए बिल्कुल सही होता है. वहीं, लड़कियों को पैड खरीदते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पैड में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया है.