बिहार के कटिहार जिले के हसनगंज थाना पुलिस की कस्टडी में एक 45 वर्षीय शख्स की मौत हो गयी. उसकी पत्नी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके पति की गिरफ्तारी के बाद उससे 10 हजार रुपये की मांग की गयी. रुपये नहीं देने के कारण उसकी पीट कर हत्या कर दी गयी है. दूसरी ओर इस मामले में कटिहार एसडीपीओ ने कहा कि कैदी बीमार था, जिससे कारण उसकी मौत हुई है. घटना को लेकर परिजनों में काफी आक्रोश है. स्थानीय लोगों ने आरोपित पुलिस पदाधिकारी पर विभागीय कार्रवाई करने की मांग की है, अन्यथा इसको लेकर उग्र आंदोलन करने की बात कही है.
कैदी की मौत की सूचना के बाद सोमवार की सुबह सदर अस्पताल पुलिस छावनी में तब्दील हो गयी. हसनगंज पुलिस ने एक डेड बॉडी को लाकर इमरजेंसी वार्ड के बेड पर रख दिया और चिकित्सक को जांच करने को कहा. चिकित्सक ने ब्राउट डेड बाॅडी कह कर उस बॉडी को यूं ही छोड़ दिया. इधर, घटना की जानकारी मिलते ही कटिहार एसडीपीओ अमरकांत झा, पुलिस निरीक्षक रंजन कुमार सिंह, नगर थाना सहित जिला पुलिस बल वहां पहुंच गये और शव के पोस्टमार्टम को लेकर तैयारी करने लगे, लेकिन देर शाम तक परिजन वहां नहीं पहुंचे.
इस कारण शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया. परिजनों का कहना है कि जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा तब तक शव का पोस्टमार्टम नहीं करायेंगे न ही शव लेंगे. मृतिका की पत्नी रीता देवी ने कहा कि हसनगंज पुलिस ने शनिवार की रात 12:00 बजे घर में घुस कर छापेमारी की. इस क्रम में उसके पति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. रीता ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा है कि छापेमारी में शामिल पुलिस पदाधिकारी ने उसके पति को छोड़ने को लेकर 10 हजार की मांग की और कहा कि रुपये दोगे, तो वारंटी को छोड़ देंगे.
रीता ने रुपये देने में असमर्थता जतायी और कहा कि हम गरीब आदमी कहां से 10 हजार रुपये लायेंगे. इसके बाद उसके पति को मारते-पीटते थाना लेकर चले गये. दो दिन बाद उसकी मौत की खबर मिली. वहीं, इधर इस मामले में एसडीपीओ ने कहा कि हसनगंज थाना में दर्ज कांड संख्या 91/17 के एक मामले में एडीजे- पांच के न्यायालय से पुनुपन के विरुद्ध वारंट जारी कर उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चित नहीं होने पर कुर्की का भी आदेश जारी किया गया था. उक्त आदेश के आलोक में हसनगंज थाना पुलिस ने शनिवार की रात उसे गिरफ्तार कर लिया.
रविवार को उसे मेडिकल जांच व कोरोना टेस्ट के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया. इसके बाद उसे न्यायालय लेकर पुलिस बल पहुंचे तो न्यायालय से उसे विलंब होने का कारण बताकर उसे कैदी के साथ वापस भेज दिया. इस दौरान उसके साथ उसका भाई भी मौजूद था. देर रात उसकी तबीयत बिगड़ गयी. उसे इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गयी.
Posted By: Utpal kant