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बिहार: पशुओं में लंपी वायरस की हुई पुष्टी, 10 हजार जानवर प्रभावित, जानें किस जिले में संक्रमण अधिक

Bihar News: बिहार में कई पशुओं में लंपी वायरस की पुष्टी की गई है. दस हजार जानवर इस संक्रमण से प्रभावित है. इस कारण पशुपालक की परेशानी बढ़ गई है. पशुपालक लंपी वायरस के फैलने से काफी परेशान है.

Bihar News: बिहार में लंपी वायरस का प्रकोप बढ़ गया है. दस हजार जानवर इससे प्रभावित है. पशुपालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कई जिलों में लंपी वायरस की पुष्टी हुई है. फिलहाल, पशुओं में संक्रमण गंभीर नहीं है. बता दें कि भोपाल लैब से आई जांच लंपी रिपोर्ट में लंपी वायरस की पुष्टी हुई है. राज्य में लंपी के प्रकोप से कई पशु प्रभावित है. राहत की बात यह है कि पशुओं में यह बीमारी गंभीर नहीं है. यही कारण है कि पशु जल्दी ठीक हो रहे हैं. राज्य में अब- तक आधा दर्जन से अधिक मवेशियों की मौत भी हो चुकी है. बीमारी को देखते हुए पशप एवं मत्स्य संसाधन वुभाग ने सभी जिलों के पशु चिकित्सकों को सतर्क रहने के लिए कहा है. प्रखंड के साथ ही जिला स्तर पर भी पशु चिकित्सकों को अलर्ट कर दिया है.

मवेशियों का बीमारी से बचाव जरुरी

पसुओं में यह बीमारी तेजी से फैल रहा है. इसलिए इससे बचाव काफी जरुरी है. लंपी वायरस को फैलने से रोकने का एक तरीका यह है कि जैसे ही आपको पशुओं में इस बीमारी के लक्षण दिखें तो आप अपने पशुओं का टेस्ट करवाएं. इसके साथ ही आपको अपने संक्रमित मवेशियों से अन्य मवेशियों को अलग कर देना चाहिए. इससे दूसरे पशुओं का बचाव होता है. इसके साथ ही बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए कुछ रोकथाम के उपाय करने चाहिए. इसके लिए जानकारी भी साझा की जाती है. लोगों को संबंधित अधिकारियों और पशु चिकित्सकों से सलाह लेते रहना चाहिए. इसके अलावा आपको अपने दूसरे जानवरों पर भी कड़ी नजर रखनी चाहिए और इस दौरान इन जानवरों के दूध का सेवन करने से बचना चाहिए. यह दुर्भाग्य है कि ढेलेदार गाय त्वचा रोग के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है. गांठदार वायरस के लक्षणों का इलाज करने के लिए, जानवरों को घाव देखभाल स्प्रे, दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं.

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मौसम में बदवाल के कारण बीमारी से लोग परेशान

वहीं, मालूम हो कि इंसानों में भी मौसमी बीमारियों का खतरा तेजी से फैल रहा है. डेंगी के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. साथ ही मौसम में बदवाल के कारण खांसी, जुकाम और वायरल के मरीज बढ़ने लगे हैं. प्रतिदिन 300 से 400 मरीज सरकारी अस्पताल की ओपीडी में पहुंच रहे हैं. शिशु ओपीडी में हर दिन दो सौ के करीब बच्चे इलाज कराने पहुंच रहे है. इसमें 65 फीसदी से अधिक वायरल से पीड़ित हैं. ऐसे में चिकित्सक भी बचाव की सलाह दे रहें. मेडिसिन विभाग के डॉ सीके दास कहते है इन दिनों मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की जरूरत है. थोड़ी सी लापरवाही स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है. सुबह- शाम के साथ रात में ठंडा मौसम होने से लोग बीमार हो रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. ऐसे में सर्दी, जुकाम और बुखार की परेशानी आम बात है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ चिन्मयी शर्मा कहते है कि अभी बच्चे खांसी और बुखार के अधिक आ रहे है. ऐसे मौसम में खानपान तथा रहन- सहन के मामले में खास ध्यान देने की जरूरत होती है. मौसम में हो रहे बदलाव के कारण कफ, कोल्ड, फीवर, गले में खराश, खांसी, सिर दर्द और बुखार आदि समस्याएं होना एक आम बात है. थोड़ी सावधानी बरतें तो वायरल फीवर या खांसी और जुकाम की चपेट में आने से बचा जा सकता है.

जिन लोगों को जल्दी सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी बीमारियां जकड़ लेती हैं, अक्सर उन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. उन लोगों को इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग करने वाली चीजें खानी चाहिए. खासतौर पर हरी सब्जियों, गाजर, मूली, टमाटर जैसी सब्जियां अधिक मात्रा में लेनी चाहिए क्योंकि इनमें एंटीऑक्सिडेंट तत्व होते हैं, जो शरीर में जमे तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं. इसके साथ ही फलों में भी सेहत का राज छिपा होता है, जो बॉडी को फ्रेश रखता है और शरीर को बीमारियों से बचाता है.

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सावधानी से बचाव संभव

वहीं, लंपी बीमारी से गाय प्रभावित है. इस वायरल बीमारी में पशुपालक शुरुआत में सतर्क हो जाएं, तो समय रहते मवेशी ठीक हो जाते हैं. इससे ग्रसित कई मवेशी ठीक हुए हैं. मवेशी में वायरल प्रकोप दिखते ही स्थानीय पशु चिकित्सालय में डॉक्टरों से सलाह लेकर दवा दें. पशु चिकित्सालय में इससे जुड़ी दवा उपलब्ध करायी गयी है. अगले सप्ताह पटना में होने वाली बैठक के बाद टीका को लेकर गाइडलाइन प्राप्त हो सकता है. सावधानी से बचाव संभव है.

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