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‍Bihar: जमीन की रजिस्ट्री में बंद होगी धोखेबाजी, मगर नये नियम से बढ़ेगी खरीदार-विक्रेता की परेशानी

Bihar: जमीन की रजिस्ट्री के नियम में आए दिन संशोधन हो रहे हैं. प्रशासन की कोशिश है कि जमीन की रजिस्ट्री में जारी भ्रष्टाचार को कम किया जा सके. अब बताया जा रहा है कि जमीन रजिस्ट्री से पूर्व अब फिर से जिला अवर निबंधक व मुफस्सिल अवर निबंधक जमीन के किस्म की जांच करेंगे.

Bihar: जमीन की रजिस्ट्री के नियम में आए दिन संशोधन हो रहे हैं. प्रशासन की कोशिश है कि जमीन की रजिस्ट्री में जारी भ्रष्टाचार को कम किया जा सके. अब बताया जा रहा है कि जमीन रजिस्ट्री से पूर्व अब फिर से जिला अवर निबंधक व मुफस्सिल अवर निबंधक जमीन के किस्म की जांच करेंगे. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने इसको लेकर निर्देश जारी कर दिया है. विभाग ने यह फैसला जमीन रजिस्ट्री के किस्म (जमीन की श्रेणी) व संरचना युक्त भवन को छिपाकर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने का मामला उजागर होने के बाद लिया है. स्थानीय स्तर पर एक पत्र जारी कर दिया गया है.

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राजस्व की चोरी को रोकने के लिए लिया फैसला

जिला अवर निबंधक राकेश कुमार ने बताया कि विभाग ने यह फैसला राजस्व चोरी को रोकने को लेकर लिया है. सबसे ज्यादा फोकस शहरी क्षेत्र के वैसे जमीन के किस्म की जांच करनी है, जिसपर भवन का निर्माण है. बता दें कि विभाग ने कुछ महीने पहले जिला अवर निबंधक के साथ-साथ रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारी के द्वारा रजिस्ट्री से पहले जो स्थल की जांच की जा रही थी. इस पर रोक लगा दी थी. रजिस्ट्री के बाद दस्तावेजों की रैंडमली जांच की जिम्मेदारी जिलाधिकारी को सौंपी गयी थी. जिलाधिकारी को विभाग ने डिप्टी कलेक्टर स्तर के पदाधिकारी से कराने का निर्देश दिया था. हालांकि, इसके बावजूद राजस्व की बड़े पैमाने पर चोरी हो रही थी.

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68.08 प्रतिशत हुई राजस्व की वसूली

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग से तय सालाना लक्ष्य के अनुपात में मुजफ्फरपुर जिले में अब तक 68.08 प्रतिशत राजस्व की वसूली की गयी है. हालांकि, राजस्व की वसूली अभी भी जारी है. विभाग के द्वारा अभी तक जो राजस्व की प्राप्ति हुई है, वो लगभग 278 करोड़ से ज्यादा है. ये पिछले साल की तुलना में 62 करोड़ रुपये ज्यादा है. चालू वित्तीय वर्ष में इतनी ज्यादा वसूली का लक्ष्य विभाग ने तय कर दिया है. इसके कारण सरकारी रेट के अनुसार रजिस्ट्री शुल्क लेने पर लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल है. यही कारण है कि अधिकारी तय रेट से हर जमीन की खरीद-बिक्री पर 05 से 10 प्रतिशत तक अतिरिक्त राशि जमा कर रहे हैं.

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