Bihar Politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की पार्टी रालोसपा (RLSP) का विलय आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जदयू (JDU) में हो गया. इसके बाद बिहार में ‘लव-कुश समीकरण’ मजबूत होगा, जिसका फायदा दोनों को होना तय है. लेकिन सवाल ये है कि रालोसपा का जदयू (RLSP JDU Merger) में विलय क्यों हो रहा है. जदयू और रालोसपा का गठबंधन (RLSP JDU Alliance) क्यों नहीं हो रहा?
सोशल मीडिया से लेकर कई चौक चौराहों पर ये सवाल पूछा जा रहा है कि कभी नीतीश कुमार के मुखर विरोधी रहे उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी का अब जदयू में विलय क्यों हो रहा. तो उसका जवाब ये है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी बनाने के बाद भी नीतीश कुमार के खिलाफ अपनी राजनीति में सफल नहीं हुए, न ही गठबंधन की मुख्य धारा में लौट सके.
2018 में एनडीए से अलग हो गए और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन रहते हुए दो सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन करारी हार मिली. फिर कुशवाहा महागठबंधन से भी अलग हो गए. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में उन्होंने अपना एक अलग मोर्चा बनाया मगर मुंह की खा गए. एक भी सीट उनकी पार्टी के खाते में या उनके कई दलों वाले मोर्चे के हिस्से में नहीं आई.
2013 में बनी रालोसपा का एक समय में वजूद था. पार्टी एनडीए में शामिल थी और स्वयं उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय राज्यमंत्री थे. वहीं, एनडीए से बाहर होने के बाद फिलहाल पार्टी का कोई भी नेता लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा या विधान परिषद के लिये चयनित नहीं हो सका है. ऐसे में जदयू और रालोसपा में गठबंधन की संभावना नजर नहीं आयी.
वहीं कुशवाहा सत्ताधारी दल से जुड़कर रहना चाहते हैं, तो जदयू भी उनके माध्यम से कुशवाहा वोट बैंक (‘लव-कुश समीकरण’ ) पर एकछत्र पकड़ चाहती है. उपेंद्र कुशवाहा या उनके परिवार के किसी खास सदस्य का फिलहाल विधान परिषद के माध्यम से सत्ता में प्रवेश का विकल्प मौजूद है क्योंकि राज्यपाल कोटे से परिषद के 12 सदस्यों का मनोनयन होना बाकी है.
रालोसपा (RLSP) के जदयू (JDU) में विलय के बाद कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को क्या मिलता है, यह देखना भी मजेदार होगा. चर्चा है कि कुशवाहा को शरद यादव वाली राज्यसभा सीट दी जाए. बता दें कि शरद जदयू से अलग होने के बावजूद उसी का सदस्य बने रहने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं. इसपर फैसला जल्द आने की संभावना है.
अगर ये नहीं हुआ तो फिर जदयू उपेंद्र कुशवाहा को राज्यपाल कोटे की विधान परिषद सीट और फिर अपने कोटे से बिहार में मंत्री पद भी दे सकता है. अब देखना यह है कि कुशवाहा को पार्टी और नीतीश सरकार में क्या भूमिका दी जाती है. रालोसपा के जदयू में विलय से पहले ही कई नेताओं ने कुशवाहा का विरोध किया और पार्टी का साथ छोड़ दिया.
Posted By: Utpal kant