बिहार में आने वाले दिनों में निर्माण में इस्तेमाल होने वाले बालू की कमी से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. बताया जा रहा है कि बालू घाट पट्टा लेने के बाद निर्धारित अवधि में पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं ली गयी, तो पट्टा रद्द हो जायेगा. इसके साथ ही पट्टा के लिए जमा प्रतिभूति राशि जब्त करने का भी प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपील में 28 मार्च 2023 को पारित आदेश में नवबंदोबस्त बालूघाटों के लिए सिया बिहार को 30 जून तक पर्यावरणीय स्वीकृति निर्गत करने का आदेश दिया है. बिहार सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग के निदेशक खान मो नैय्यर इकबाल ने मुजफ्फरपुर समेत प्रदेश सभी जिलों के खनिज विकास पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि बालूघाटों के पर्यावरणीय स्वीकृति समय से निर्गत कराने में पट्टाधारियों का अपेक्षित सहयोग करें.
बालू घाटों पर खनन से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट सिविल अपील की सुनवाई करते हुए बिहार के सभी बंदोबस्तधारियों को 30 जून 2023 तक पर्यावरणीय स्वीकृति लेने का आदेश दिया है. इसके लिए बंदोबस्तधारियों को परिवेश पोर्टल पर प्रस्ताव अपलोड करना होगा. प्रस्ताव अपलोड करने के बाद टीओआर ग्रांटेड होगा, तो अविलंब ड्राफ्ट इआइए जमा कराना है. इसके साथ ही लोक सुनवाई कराकर फाइनल इआइए प्रतिवेदन जमा करना है.
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राज्य के 29 जिलों में 265 बालू घाटों की नीलामी हुई है. इसमें 256 घाटों के लिए प्रतिभूति राशि जमा किये जाने के बाद विभाग की ओर से स्वीकृति आदेश जारी किया गया है. पिछले हफ्ते संयुक्त सचिव ने सभी जिलों के खनिज विकास पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक की और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से सभी घाटों की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए निर्देशित किया.
निदेशक ने संबंधित जिलों के खनिज विकास पदाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करना पट्टाधारी की जिम्मेदारी है, लेकिन न्यायालय के आदेश के अनुपालन के लिए आपको भी यह देखना आवश्यक है कि उनके द्वारा अपेक्षित कार्रवाई समय से की जा रही है या नहीं. किसी स्तर पर विलंब तो नहीं हो रहा है. खनन योजना अनुमोदन के बाद संबंधित बालू घाटों के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आवेदन सिया के परिवेश पोर्टल पर समय से अपलोड किया जाना है. यह सुनिश्चित करना खनिज विकास पदाधिकारियों की भी जिम्मेदारी है. निदेशक ने सभी को निर्देश दिया है कि अपने जिला अंतर्गत बंदोबस्त बालू घाटों के लिए अनुमोदित खनन योजना के क्रम में संबंधित बंदोबस्तधारी व पर्यावरण सलाहकार से समन्वय बनाकर पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए अपेक्षित कार्रवाई सुनिश्चित करें.