Bihar Sharab News: शराबबंदी को लेकर बिहार सरकार के तेवर तल्ख है. बावजूद शराब बंदी की घोषणा के बाद भी कटिहार जिले में शराब की बिक्री बंद नहीं है. जिला पुलिस व उत्पाद विभाग की ओर से सख्ती से कार्रवाई के बाद भी जिले में शराब का खेल नहीं बंद हो रहा. शराब की बिक्री जिले के लगभग हर गली- मुहल्ले व चौक-चौराहों पर जारी है तथा शराब की होम डिलिवरी हो रही है. शराब कारोबारी, तस्कर, शराब निर्माता के साथ-साथ शराबियों में मानों पुलिस का कोई भय नहीं है. स्थानीय लोगों की माने तो पुलिस प्रशासन की मिली भगत से ही जिले में शराबबंदी सफल नहीं हो पा रही है.
मद्य निषेधाज्ञा में लापरवाही व शराब तस्करों व कारोबारियों से सांठगांठ को लेकर कटिहार जिले के पुलिस पदाधिकारियों पर पूर्व में कार्रवाई की गयी है. जबकि अब भी कुछ शेष बचे हुए है, जिनकी नौकरी जाने का खतरा अब भी बना हुआ है. इन मामलों में पुलिस पदाधिकारी के विरूद्ध मामला भी दर्ज है.
फलका थाना में तैनात सुनील कुमार को शराब के नशे में आरोपित की गिरफ्तारी करने के आरोप में निलंबित व कार्रवाई के बाद बर्खास्त कर दिया गया. मनिहारी के तत्कालिन थानाध्यक्ष सुनील कुमार को शराब के नशे में पकड़ाये आरोपित से रुपये लेकर थाना से छोड़ने के मामले में तत्कालीन एसपी ने निलंबत करते हुए उसके विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिये थे.
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आजमनगर थाना के तत्कालिन थानाध्यक्ष टुनटून पासवान को शराब माफिया को छोड़ निर्दोष को पकड़े जाने के मामले में निलंबित कर उनके विरूद्ध जांच के आदेश दिये गये थे. जबकि उत्पाद विभाग के एएसआई रवि कुमार का एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें शराब कारोबारी को छोड़ने के एवज में पचास हजार रुपये की डिमांड की गयी थी.
पैंथर टीम में शामिल एएसआई संजय सिंह, सिपाही संतोष यादव को निलंबित कर जांच के आदेश दिये गये थे. नगर थाना क्षेत्र के फलपट्टी में एक व्यवसायी को शराब के झूठे केस में फंसाने के मामले में दो सिपाही की बर्खास्तगी हुई थी. वहीं एक उत्पाद सिपाही को निलंबित कर उसे जेल भेज दिया गया था.
मुफस्सिल थाना क्षेत्र में उत्पाद पुलिस के एक जवान के द्वारा झूठे केस में फंसाने को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने सिपाही को बंधक बनाकर रखा था. मुफस्सिल पुलिस के हस्तक्षेप से सिपाही को छुड़ाया गया व उसके मोटरसाइकिल की डिक्की से विदेशी शराब बरामद की गई थी. जिस बाबत स्थानीय थाना में प्राथमिकी दर्ज कर उक्त सिपाही को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. आखिर जिनके कंधे पर शराबबंदी को सख्ती से लागू कराना है, अगर वही अधिकारी उस कारोबारी से सांठ-गांठ करे तो कैसे बंद होगा शराब का अवैध धंधा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले में कई ऐसे मामले आये जिनमें पुलिस पदाधिकारी, उत्पाद पुलिस, जिला पुलिस बल आदि के सहयोग से ही जिलें में यह धंधा फल फूल रहा है. थाना व ओपी क्षेत्र के बगल में भी शराब की बिक्री होती है. गांव से लेकर पुलिस के लिए मुखबिरों की कोई कमी नहीं है. गांव में चौकीदार एवं शहरों में टाइगर मोबाइल एक-एक गली की छान मारते है तो क्या उन्हें शराब बिक्रेता की सूची नहीं मिलती है.
स्थानीय लोगों की माने तो जिले में शराब बिक्रेता व कारोबारियों की सूचना पुलिस को रहती है, लेकिन उनके सांठगांठ रहने के कारण शराब का कारोबार जारी रहता है. वरीय पुलिस पदाधिकारी को अगर सूचना प्राप्त भी हो गयी तो जबतक बिक्रेता के पास पुलिस छापेमारी करने जाए उसे पहले ही जानकारी मिल जाती है, जिस कारण पुलिस को कम ही सफलता हाथ लगती है. ऐसे में जिले में पूर्ण शराब बंदी को सफल बनाना फिलहाल बेहद कठिन है.
Posted By: Thakur Shaktilochan